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Showing posts from August, 2019
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जंग की बातें ना हो..यहाँ-वहाँ पैग़ाम-ए-प्यार फ़ैले..यहाँ-वहाँ - मनोज 'मानस रूमानी'
एक ही वतन में सब साथ थे कभी.. बटवारे से झगड़तें छोड़ गएँ फ़िरंगी! - मनोज 'मानस रूमानी'
बरक़रार रहे जन्नत-ए-कश्मीर  हुस्न-ओ-इश्क़ का अपना चमन  - मनोज 'मानस रूमानी'