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Showing posts from August, 2021
फ़िराक़-ए-यार का हैं दर्द शब-ए-फ़ुर्क़त की तनहाई - मनोज 'मानस रूमानी'
दिल दे-ले कर मुकर जातें हैं हुस्नवालें इस खेल से परहेज़ ही रखें चाहनेवालें! - मनोज 'मानस रूमानी'
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सांझ का रूमानी नज़ारा हैं यह पेड़-पर्बतों पर हैं शाम का नीला सूरज के प्यार के गेरुआ रंग से झील का बदन हैं कुछ निखरा! - मनोज 'मानस रूमानी'
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कुदरत में भी काफ़ी शायरी भरी हुई है जरा इंटरनेट से उठ कर वह आज़माएँ लुत्फ़ उठाएं जब फ़िज़ा रूमानी होती है उस वक़्त बस साथ हसीं होना चाहिएं! - मनोज 'मानस रूमानी'
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स्थिति अब भी है यहीं! कोरोना शायद रोकेगा सिनेमा में रोमांस माशूक़ा को न ले सकेगा आग़ोश मेहबूब! लव बर्ड्स दिख सकतें हैं करतें प्यार और फिर से चूमतें दिखेंगे दो गुल! - मनोज 'मानस रूमानी'
जो कली हमारे गुलशन-ए-दिल की थी वो अब ज़ीनत हैं किसी दूसरे बाग़ की! - मनोज 'मानस रूमानी'
हुस्न आपका खिलखिलाता रहें 🌷 शायरी हमारी रूमानी होती रहें ✍ - मनोज 'मानस रूमानी'
गालों पर रंगत लाता मुस्कुराता रुख़..😊 कहीं दिलों में प्यार के खिला न दे गुल 💕 - मनोज 'मानस रूमानी'
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बड़ी मुश्किल से अब होने लगा चाँद की तरह ही दीदार उनका! - मनोज 'मानस रूमानी'
नूऱ सी लगती है उनकी झलक भी गुलशन में..जहाँ मायूसी है छायी! - मनोज 'मानस रूमानी'
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वो दौर गया जब सिर्फ भाई बहनों की रक्षा करतें थें नए दौर में बहनें भी कभी भाइयों की रक्षा करती हैं जज़्बातों को संभालकर स्वाभिमान बरक़रार रखें वे सलामत रहें भाई-बहनों का ऐसा प्यार दुनिया में! - मनोज 'मानस रूमानी'
तस्वीर आप की जो रहती हैं ख़्यालों में 💗 शायरी हमारी उसे चार चाँद लगा देती हैं ✍ - मनोज 'मानस रूमानी'
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दिल तो यही चाहता हैं.. जी भर के उसे प्यार करूं, खुशियाँ दूँ लेकिन जज़्बातों पे रखा काबू - मनोज 'मानस रूमानी' (Just a Haiku!)
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कोई रिश्ता नहीं हैं उस से फिर भी कुछ लगाव सा हैं कुछ पल की वो हमसफ़र आँखों में नमी सी बसी हैं - मनोज 'मानस रूमानी'
वीरान सी हो जाती है ज़िंदगी साथ न हो ग़र हमनफ़स हसीं - मनोज 'मानस रूमानी'
दौर-ए-वहशत चला हैं कहीं पर ज़िंदगियाँ परेशान हैं कहीं पर! - मनोज 'मानस रूमानी'
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जाड़ों की नर्म धुप हो या... ग़र्मी में पत्तों की सरसराहट! सरलता से मुख़ातिब होते है.. ज़िदगी पर आपके अल्फ़ाज़! - मनोज 'मानस रूमानी' (कवी-गीतकार गुलज़ार साहब को सालगिरह की मुबारक़बाद देते समय याद आ रहीं हैं उनसे मुलाकातें और मेरे 'चित्रसृष्टी' संगीत विशेषांक की उन्होंने की सराहना!)
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जय हिंद! अपने आदर्श भारत की बात वो करतें रहे देशभक्ति का जज़्बा हम में यूँ जगातें रहें - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे भारतीय सिनेमा के ज़रिये देशभक्ति को निरंतर उजागर करनेवाले दिग्गज अभिनेता एवं फ़िल्मकार मनोज कुमार जी का मेरे 'चित्रसृष्टी' विशेषांक के लिए इंटरव्यू लेते समय इस तरह प्यार पाया..जो आज के स्वतंत्रता दिन पर याद आता हैं। उन्हें शुभकामनाएं!)
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जश्न-ए-आज़ादी मुबारक़! मुकम्मल आज़ादी की आस लगाए बैठे हैं खुलेपन से जहाँ जी सकें, व्यक्त हो सकें! - मनोज 'मानस रूमानी'
एक ज़मीं, आसमाँ, सूरत, तहज़ीब थे.. लकीर खींचकर जुदा किए ग़ैर-मुल्की ने - मनोज 'मानस रूमानी'
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आतिश-ए-'इश्क़ कभी इस कदर होती है कुदरत को भी अपनी आग़ोश में लेती हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
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एहसास-ए-'इश्क़ लफ़्ज़ों में यूँ बयां नहीं होता रूहानी जज़्बा हैं..होनेपर महसूस किया जाता - मनोज 'मानस रूमानी'
सिवाय उसके जिस के लिए धड़कता दिल हर किसी को नहीं सकतें लगा! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हुस्न के इर्दगिर्द जहाँ पर.. आशिक़ों की भीड़ जमती! हम वहाँ आज़माते रहते.. हुस्न, इश्क़ में पाकीज़गी! - मनोज 'मानस रूमानी' (Picture just used for poem!)
रुख़-ए-ज़ेबा कभी मायूस 😔 न हो ज़ीनत-ए-गुलशन बेनूर 🥀 न हो! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आदाब अर्ज़ हैं..! हुस्न से मुतासिर होती है रूमानी शायरी यूँ अक़्सर हुस्न-ओ-इश्क़ का समां रूमानी बनाती हैं अक़्सर - मनोज 'मानस रूमानी'
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सांप्रदायिकता और पाखंड के ख़िलाफ़ तख़्त हिलाती आवाज़ थे आप राहत! - मनोज 'मानस रूमानी' (बुलंद शायर राहत इंदौरी जी को प्रथम स्मृतिदिन पर सलाम!)
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श्रावण असा-तसा! श्रावणात रंगतो एकीकडे ऊन-पावसाचा खेळ जसा श्रावणसरीं नि ऊन कोवळे   असतात रोमांचक काहींना! श्रावणात नसतो दुसरीकडे ऊन-पावसाचा खेळ तसा श्रावणधारा नि ऊन कोरडे झळच उघड्या संसारांना! दृश्य यातले ते इंद्रधनुचे मनमोहक असते काहींना क्षितिजावरी मात्र दुसरीकडे मळभच दाटते सदानकदा! - मनोज 'मानस रुमानी'
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'जीवन देणे सोडून..पाणी ते वाहून नेते... पराधीन जीवसृष्टी तेंव्हा असहाय्य असते!'   - मनोज 'मानस रुमानी' (पूरग्रस्तांप्रती संवेदना..!!!)
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दुनिया में यूँ ही जंगे लड़ी जाती हैं.. जीतने के लिए प्यार काफ़ी होता है! - मनोज 'मानस रूमानी'
मेरी शायरी सोशल नेटवर्क (इंस्टा जैसे) पर किसी की तारीफ़ के लिए इस्तेमाल की देखकर ताज्जुब हुआ! लेकिन साथ में मेरे नाम का ज़िक्र न किया देख कर खेद हुआ। - मनोज 'मानस रूमानी'
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HER CLASSIC BEAUTY! Subtle smile on her pretty face reminds me Mona Lisa smile! Feelings in her beautiful eyes recollects Mona Lisa feelings! Cuteness on her graceful face.. reflects that romantic innocence! - Manoj 'manas roomani'
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अब न कोई जंग हो.. न उजड़े कोई गुलशन! विश्व नेताओं से अब, बस यही है गुज़ारिश! - मनोज 'मानस रूमानी' (हिरोशिमा-नागासाकी त्रासदी को ७५ साल होने पर!)
कशमकश-ए-ज़िंदगी में सँवर जाए तो शायराना इश्क़ का लुत्फ़ उठाए - मनोज 'मानस रूमानी'
सारी हदें तोड़ चुकी इश्तियाक़ इनकी.. प्रतिमाओं से भी खेले सियासत इनकी - मनोज 'मानस रूमानी'
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अब यह शीर्षक जहाँ स्वीकारा हुआ है.. ताज्जुब वहां चुंबन गवारा नहीं कहतें! - मनोज 'मानस रूमानी' (समकालिन घटना पर!)
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नसीम नहीं बह रही हैं.. गुलशन में यूँ हैं फ़िज़ा! न क़द्र सिफ़त, औसाफ़ हो रहें हैं फूल भी फ़ना! - मनोज 'मानस रूमानी'
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खिल रहे है इस गुल की तरह इस दिल में कोई शोख़ हसीन - मनोज 'मानस रूमानी'
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स्नेह और प्यार उतरता रहें कलम से.. शायरी गुलों की तरह यूँ खिलें दिलों में - मनोज 'मानस रूमानी'     ('फ्रेंडशिप डे' की सभी को शुभकामनाएं!)