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Showing posts from July, 2023
'बेटी बचाओं' का महज नारा देनेवाले हैं हुक्मरान! नहीं रोक पाते महिलाओं पर शर्मनाक अत्याचार? - मनोज 'मानस रूमानी'
जिसकी बुनियाद बेवफ़ाई वो इश्क़ कैसा? हंगामा इधर-उधर जिससे हैं जो बरपा..! - मनोज 'मानस रूमानी'
आभासी दुनिया में महज़ खेल हुआ हैं प्यार रिश्तों में पाकीज़गी किसी जहाँ का रहा प्यार - मनोज 'मानस रूमानी'
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चंद्रयान कभी पता तो करे, वह जहाँ-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ क्या वाक़ई हैं चाँद पर? प्यार करने वाले युगों से.. जिससे होतें रहें मुख़ातिब शायर ख़ूब लिखें जिस पर! - मनोज 'मानस रूमानी'
'नाथ हा माझा' नाटकाचा खेळ होऊन गेला.. आता 'दादा कमळ बघ' पाठ गिरवला गेला.. राज्य-कारणाच्या अशा नाना तऱ्हा दिसल्या! - मनोज 'मानस रुमानी' (राज्यातील सद्यस्थितीवर!)
दिखाने के लिए समाजवाद अंदर से संघवाद बरक़रार.! जारी है राजनीती का खेल.. वाक़िफ़ है हम इससे ख़ूब.! - मनोज 'मानस रूमानी'
हर फैसला आपका क्यों मचा देता हैं बवंडर? आप चलते कालीन पर, आम अग्निपथ पर.! - मनोज 'मानस रूमानी'
फ़िक्र होनी चाहिए वह दुनियां घूम रहे है.. ताने सहनेवाले यहाँ हिफाज़त कर रहे है!   - मनोज 'मानस रूमानी'
जिस जहाँ में तुम नफ़रत फैला रहें हैं.. उसी जहाँ में हम मोहब्बत बढ़ा रहें हैं.!   - मनोज 'मानस रूमानी'