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Showing posts from 2021
याद तो बिछड़े दोस्तों को करता हैं मन इसमें भी 'उसे' ख़ास याद करता हैं दिल - मनोज 'मानस रूमानी'
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पहला प्यार! हसीन रुख़ जब समां जाता कमसिन उम्र में आँखों में, प्यार वह बरक़रार रहता.. ताउम्र दिल-ओ-दिमाग़ में - मनोज 'मानस रूमानी'
जज़्बा-ए-इश्क़ कहाँ मानता है सरहद सियासती दिमाग़ की चाल हुई सरहद - मनोज 'मानस रूमानी'
हिज्र में भी प्रेमी दिलों में समाएं रहतें वस्ल में पर कुछ प्रेमी गुमशुदा रहतें! - मनोज 'मानस रूमानी'
'कुछ पत्रकारिता' हैं ख़ुशामद में मगन 'दिव्य' रूप दिखाएं केसरिया हुक़्मरान - मनोज 'मानस रूमानी'
कुछ अख़बार भूलें विज्ञापन नीति शास्त्र पुरे फ्रंट पेज पर केसरिया हुक़्मरान राज - मनोज 'मानस रूमानी'
समंदरी जहाज़ से हवा में उड़ने वाले भूल गए आम जनता ज़मीन पर है! - मनोज 'मानस रूमानी'
लगता साल ऐसे ही गुज़र रहें हैं 🍀 प्यार से गले नहीं मिल सकें हैं! 💞 - मनोज 'मानस रूमानी'
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पर्वतों का ख़ूबसूरत नज़ारा हैं हुस्न भी अपने पुरे शबाब में हैं तो हसीन ग़ज़ल लिख़ जानी है दिल आशना को इश्क़ होना है - मनोज 'मानस रूमानी' (आज के 'अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिन' पर!)
अब विकैट से किसीकी फिर गयी विकेट 🏏 टूट कर घायल भी हुए कई दिल! 💔 - मनोज 'मानस रूमानी'
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शर्मीली सुंदरता! ज़रीन रुख़ पर उनके शरमाई रौनक दिखी सुनकर शायरी अपने हुस्न की तारीफ की शायर उसे ही कहतें ज़ीनत गुलशन की! - मनोज 'मानस रूमानी'
इंसान का वजूद कही गुम हो गया है आए दिन होतें रहें तमाम विवादों में - मनोज 'मानस रूमानी'
राजभाषा उनके काम नहीं आयी.. तब उन्हें राष्ट्रभाषा समझ आयी! - मनोज 'मानस रूमानी'
ख़ुमार-ए-इश्क़ है ये बादल अब बरसना  🌈🌧 जुनून-ए-इश्क़ ही होता बेवक्त फ़रमाना 💞 - मनोज 'मानस रूमानी'
तसव्वुर-ए-जानाँ उनके अलावा नहीं किसी और की चाहत मुमकिन नहीं! - मनोज 'मानस रूमानी'
'आनंद' पाने की ख़्वाहिश में जहाँ ही छोड़ देते है कोई.! - मनोज 'मानस रूमानी'
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कोई मरासिम नहीं उनसे फिर भी कुछ उन्स सा है हालत-ए-हिज्र ना कहेंगे फिर भी दिल तन्हा सा है - मनोज 'मानस रूमानी'     [मरासिम=रिश्ता, उन्स=लगाव, हिज्र=वियोग]
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अभी तक हैं वो हसीन हम भी हैं जवाँ-दिल! अभी तक हैं बरक़रार.. पहले प्यार का ख़ुमार! - मनोज 'मानस रूमानी'
इंसानियत-प्यार की पूजा होती हैं वह दिल ही एक मंदिर होता है! 💟 - मनोज 'मानस रूमानी'
मौसम-ए-इश्क़ कभी ख़िज़ाँ से न गुज़रे 🍂 पतझड़ के पत्तों की तरह दिल न बिखरें 💔 - मनोज 'मानस रूमानी'
ग़र्व से कब कहेंगें?. . "हम इन्सान हैं!!!" - मनोज 'मानस रूमानी'
गेरुआ मोहब्बत का हो तो अच्छा हैं लेकिन हमें हमारें तीन रंग प्यारें हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
ज़िंदगी होगी हसीँ पुरनूर शादाब 🏡 जब साथ हो हुस्न-ए-जहाँ-ताब! 💗 - मनोज 'मानस रूमानी'
आजकल रात का अँधेरा कुछ सुकून देता उलझनों का उजाला खौफनाक हैं लगता! - मनोज 'मानस रूमानी'
पलटकर केसरिया हुक्मरान कैसे माने आगामी चुनावी नतीजों की आहट से! - मनोज 'मानस रूमानी' (कृषि कानून वापसी पर!)
कभी पागलपन, कभी ग़ैरजिम्मेदाराना खेल समझा है अभिव्यक्ति से बोलना! - मनोज 'मानस रूमानी'
कोई अज्ञान से बेहूदा बातें करतें कोई किताबें पढ़कर भी हैं करतें! - मनोज 'मानस रूमानी'
समय समय बदलता कुर्ता-जैकेट का रंग.. समाजवाद कहाँ..यह तो है पूंजीवाद का ढंग! - मनोज 'मानस रूमानी'
मोहब्बत के फूल कैसे खिलेंगे? मौसम नफ़रतों का बन रहा हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
शायरी मेरी यूँ ज़माने से वाबस्ता रहती हैं.. ✍ कुछ रूमानी बातें उनसे मुख़ातिब होती हैं 💞 - मनोज 'मानस रूमानी'
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ख्वाब और ज़िंदगी! ज़िंदगी का ख़ूबसूरत सपना.. देखा था एक हसीन के साथ! ज़िंदगी की ख़ूबसूरत तस्वीर.. बनानी थी उस हसीन के साथ! ज़िंदगी सुकून से रूमानी बसर.. करनी थी उस हसीन के साथ! ज़िंदगी नादाँ से कही गई ठहर.. अजीब दास्ताँ सी बग़ैर वो साथ! - मनोज 'मानस रूमानी'
हुस्न होती आँखों की पसंद रूह होती दिल की चाहत! - मनोज 'मानस रूमानी'
रुख़-ए-महताब ढूंढ़ती हैं रहती शब्-ए-फ़ुर्क़त में तन्हां नज़र! - मनोज 'मानस रूमानी'
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फ़ुर्सत से कभी याद करतें.. अक्सर जो दोस्त कहलातें हैं! फ़ुर्सत निकालके याद करतें.. दिल से जो दोस्ती निभातें हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
शुभ दीपावली!🪔 मायूस ज़िंदगी से दूर हो अंधियारा दीप दिवाली के लाए रोशन सवेरा! - मनोज 'मानस रूमानी'
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MONICA.. PRETTY LEGEND! She filled colours with her beauty.. in Antonioni's visual composition! She had seen the glory of blue sky.. in Italian cinema of post neo-realism! - Manoj 'manas roomani' (Today is 90th Birthday of favourite legendary Italian actress Monica Vitti! Regards to her!) - Manoj Kulkarni
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दिखें चाँद और महताब! आसमाँ-सितारें जब शबाब में होतें ख़्वाबगाह में हसीन ख्याल हैं आतें शायद चाँद पूरा शबाब में होगा उसपे भी इश्क़ का ख़ुमार होगा अबतक न दिखा चाँद, न महताब गुज़र न जाए वह बगैर दीदार शब् हमें तो जुस्तजू हैं हमारे चाँद की उस जमाल-ए-हुस्न महजबीं की - मनोज 'मानस रूमानी'
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एहसास हो रहा है.. आप लौट आयी हैं! प्रियंका जी में आप.. हमें नज़र आ रही हैं! - मनोज 'मानस रूमानी' (आज अपने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के स्मृतिदिन पर उन्हें सलाम करते हुए इस आशावादी चित्र पर मैंने ग़ौर किया है!)
आसमाँ-सितारें जब ऐसे शबाब में होतें 🌙 ख़्वाबगाह में उनके हसीन ख्याल आतें 💗 - मनोज 'मानस रूमानी'
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ग़म-ए-दिल! दुख तो सब जतातें है.. किसी के गुज़रने के बाद कौन जाने होता इस में.. कितना सच, कितना झूठ पर मायूसी होंगी कहीं पे.. यक़ीनन हम जाने के बाद आंसूं जो टपकेंगे वहीँ से.. पहुंचाएंगे दबा हुआ प्यार! - मनोज 'मानस रूमानी' (काल्पनिक रचना एवं चित्र!)
बुरे दिन!! प्यार की निशानी ताज को कोसना.. प्रेमी सैलानीयों से छेड़खानी करना.. गरीब किसान की फसल रौंद देना.. यह आपका अच्छे दिन का सपना? - मनोज 'मानस रूमानी'
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कली के साथ खिल रहा था.. पतझड़ में जो गिरा वह फूल! तो डाली के साथ कही लगके.. कली फ़िज़ा में ख़ूब गयी खिल! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आराइश इस ज़रुल पर हैं कुदरत का शाहकार इश्क़ बयां करने का.. ख़ूब-रु का हो अंदाज़! - मनोज 'मानस रूमानी'
कभी ये मुरझाएं दिल हैं लगतें 🍁 पतझड़ में जो ये पत्तें हैं गिरतें 🍂 - मनोज 'मानस रूमानी'
आसमाँ के आग़ोश में होगा आज चाँद रंगीन समाँ में हो यहाँ "दीदार-ए-चाँद" - मनोज 'मानस रूमानी'
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रूमानी शाम की ख़ुमारी बढ़ातें.. मेरे पसंदीदा रंग में खिलें ज़रुल अब इस बाग़-ए-हुस्न में बस.. दिखाई दे हमारी हसीन ज़रुल! - मनोज 'मानस रूमानी'
अरसिक केसरिया जाने ही नहीं प्यार! तो कैसे समझेंगे ताजमहल का मोल? - मनोज 'मानस रूमानी'
इंसानियत, प्यार से जीता जाए दशहरे की यही हैं शुभकामनाएं! - मनोज 'मानस रूमानी'
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उम्र के ८० तक ये आए है.. ८० के दशक में लीजेंड बने! एंग्री यंग मैन के ही जोश में अब बिझी ओल्ड मैन हैं रहें! - मनोज 'मानस रूमानी' [हमारे भारतीय सिनेमा-टीवी जगत के लिविंग लीजेंड और हम सबके चहेते..अमिताभ बच्चन जी को सालगिरह की मुबारक़बाद!]
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आईने में दिखे छवि से ख़ूबसूरत रहें.. उम्र की रेखाएं कभी न दिखें आप पर अदाकारी के और भी जलवें दिखाने.. उमराव जान यूँ ही रहे आप परदे पर! - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे लोकप्रिय भारतीय सिनेमा की पसंदीदा ख़ूबसूरत अदाकारा रेखाजी को उनकी ६७ वी सालगिरह की मुबारक़बाद!)
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जिस साल आप यह जहाँ छोड़ गए उसी साल हम इस जहाँ में आएं थे संजीदगी, बेरुखी हम में छोड़ गए.. इसलिए हम दुनिया से ख़फ़ा रहते! - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे अज़ीज़ श्रेष्ठ अभिनेता एवं निर्देशक गुरुदत्त जी को उनके ५७ वे स्मृतिदिन पर मेरी यह शब्द-सुमनांजलि!)
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मुंतज़िर! तअस्सुफ़ हैं नासमझी में छूटी.. हमनफ़स जो हो जाती हमसफ़र रहगुज़र सही..मंज़िल की तरफ! फिर दिखें वो नूऱ..राह मंज़िल की फ़स्ल-ए-गुल के इंतज़ार में अब.. दश्त-ए-तन्हाई में पड़े हैं 'मानस'! - मनोज 'मानस रूमानी'
तवज्जोह बॉलीवुड स्टार के बेटे पर ये देतें हैं हुकुमतदार के बेटे का ज़ुल्म क्यूँ नहीं देखतें? - मनोज 'मानस रूमानी'
'जय किसान' नारा जिन के लिए लगातें केसरिया राज में उन्हें कुचला जा रहा हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
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घिर आए बादल, बिजलियां चमकी झूम के यूँ गिरती रही फिर बारिश.. अतीत चमका, दिखी भीगी पुकारती यादों से पलकें भीगा गई बारिश..! - मनोज 'मानस रूमानी'
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वस्ल-ए-इश्क़ ही नहीं होती.. मंज़िल रूहानी मोहब्बत की! प्यार तो उनका अमर हुआ.. इश्क़ में जो तड़पते रह गए! मोहब्बत तो रहती दिलों में.. मिलना हो या न मिल सकें! - मनोज 'मानस रूमानी'
हवस के वहशी कब आएंगे बाज? इंसान नहीं ये तो हो गएँ हैं हैवान - मनोज 'मानस रूमानी'
आम जनता का लोकल दर्द समझो.. बुलेटट्रैन का अमीर सपना देखनेवालों! - मनोज 'मानस रूमानी'
सूरज़ डूबता समंदर का नज़ारा इंतज़ार है बस मेरे चाँद का.! 🎑 - मनोज 'मानस रूमानी'
अवसरवादी धुरंधरों की 'घडी' कैसी भी घूमेगी सत्ता के लिए बगैर 'हाथ' केसरियाँ भी होगी! - मनोज 'मानस रूमानी'
आक्रस्ताळेपणा करीत करीत शिवराळ 'नटसम्राट' बनला 'सगळं करून' भागला नि समाज कार्याला लागला! - मनोज 'मानस रूमानी '
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गान सरस्वती के दरबार में जीवन का एक सुनहरा पल अपनापन से हुई सुरीली बातें जीवन संगीत से भरी महफ़िल - मनोज 'मानस रूमानी' (स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी को ९२ वे जनमदिन की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए, मेरी उनसे हुई यादगार मुलाक़ात याद आई!)
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नज़रिया! नज़र झुकाकर हलकी सी मुस्कान से सामने से ग़र वो गुजरे तो है इक़रार! नहीं तो मुंह मोड़ कर अपनी धुन में दूर से ही वो चल दिए तो ना इक़रार! होता हुस्नवालों का यूँ अंदाज़-ए-बयां फिर भी प्यार करनेवालें चाह्ते इज़हार! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आदाब अर्ज़ हैं! दिल में अब भी है शमा आप के लिए फिर आके इसे रोशन आप कीजिए दिल-नशीं हो इस अंजुमन की आप नूर-ए-हुस्न से अब रौनक बढ़ाइये दिलबर रही हो इस जान की आप समां के तस्कीन-ए-दिल कीजिए दिल शगुफ़्ता होगा हमारा 'मानस' प्यार से अपने इसे आबाद कीजिए - मनोज 'मानस रूमानी'
बेवज़ह रूठना फ़ितरत है हुस्नवालों की ग़लतफ़हमी या फ़िक्र होती ज़माने की! - मनोज 'मानस रूमानी'
मोहब्बत में सब जहाँ प्यारा लगता 💟 नहीं तो कुछ भी गवांरा नहीं लगता 😑 - मनोज 'मानस रूमानी'
प्यार करनेवालों का धर्म-जात हैं प्यार 💖 समझे इस ग़ुरूर में उन्हें रौंदनेवालें लोग! - मनोज 'मानस रूमानी'
यह है उसका नूर-ए-नफ़ासत 💗 जो लाए गुलशन में नज़ाकत 🏡 - मनोज 'मानस रूमानी'
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तसव्वुर-ए-जानाँ! उम्र के हर मोड़ पर.. रूबरू हुएं हसीन रुख़ नासमझ उम्र में कभी महज आकर्षण था वह जवानी की दहलीज़ पर कभी था पहला प्यार वह सयाने शायद जब कभी हुए रहे ढूंढ़ते दिलकश प्यार वह इल्म-ओ-अदब की शान में नज़रअंदाज़ हुआ प्यार वह शग़ल की मसरूफ़ियत में कहीं खो सा गया प्यार वह समझे ज़िंदगी की शाम में.. छूटा सच्चा रूहानी प्यार वह - मनोज 'मानस रूमानी'
यह शायद है उसका नूर-ए-हुस्न 🌻 जिसके दीदार के लिए है मुश्ताक़ 💜 - मनोज 'मानस रूमानी'
बहती रहें सब भाषाओँ की धाराएं.. करती रहें भाईचारा-प्यार की बातें! - मनोज 'मानस रूमानी'
अब क्या बयाँ करे हाल-ए-दिल बेहतर है महफ़िल से हूँ रुख़सत - मनोज 'मानस रूमानी'
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    जज़बात, प्यार में परेशान होता है संभाल के रखना इसे दिल कहते है   - मनोज 'मानस रूमानी'
बेवजह रूठना फ़ितरत होती है हुस्नवालों की तो मनाना चाहत रहती प्यार करनेवालों की! - मनोज 'मानस रूमानी'
समाँ रंगीन करो विज्ञान के गुब्बारों से 🎈 ना कि मैला करो दकियानूसी पाखंड से! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हुस्न-ओ-इश्क़ के अलावा भी बहुत कुछ है बाकी दुनिया में! रंज-ए-फ़ुर्क़त-ए-यार हसीं से दर्द-ए-दिल और है दुनिया में! - मनोज 'मानस रूमानी'
हबाब की तरह गुम हो जातें हैं 💧 ख़्वाब जो कभी संजोयें होतें हैं 💗 - मनोज 'मानस रूमानी'
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We can see the world.. in the droplets on petals of rose a beautiful world of love! - Manoj 'manas roomani'   (The Haiku)
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मुख़्तलिफ़ बादलों से गुजरते.. जैसे दीदार-ए-चाँद होता रहता! आजकल कई चिलमनों से आते.. वह रुख़-ए-महताब भी हैं दिखता! - मनोज 'मानस रूमानी'
फूलों के गुलदस्तें थे उस के सामने.. देखकर उनसे हसीं फूल मायूस लगे! - मनोज 'मानस रूमानी'
तसव्वुर में वह अक्सर आते ना जाने कब दीदार हो जाये - मनोज 'मानस रूमानी'
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मौसम-ए-बहार का असर यूँ रहता.. खिलखिलाता बाग़-ए-हुस्न हैं होता दामन-ए-गुल चूमता रहता भँवरा.. इश्क़ का ख़ुमार ही ऐसा छाया होता - मनोज 'मानस रूमानी'
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रूमानी होता है यूँ सितंबर.. पर कोई न चाहे सितमग़र! मिले सभी को हसीं दिलबर.. बने जो हमनफ़स, हमसफ़र! - मनोज 'मानस रूमानी'
टीचर्स डे पर... ज़िंदगी बस सिखाती जा रही है उस पर अमल नहीं कर पा रहें! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुख़्तलिफ़ मुश्क़िल मोड़ है ज़िन्दगी के बस आरज़ू यहीं मंज़िल तो हसीन मिले - मनोज 'मानस रूमानी'
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ख़याल-ए-दिल! कुछ कह नहीं सकतें दिल का कैसे खिले..किस पर आ जाए जज़्बों का दर्द कितना सहेगा.. या बंद करे अचानक धड़कना! - मनोज 'मानस रूमानी'
मिली ज़िंदगी पर ग़ुरूर ठीक नहीं कभी भी ज़िंदगी करवट ले लेंगी! - मनोज 'मानस रूमानी'
ज़मीर इंसान का बहुत अहमियत हैं रखता स्वाभिमान से समझौता करके नहीं रहना! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुख़्तलिफ़ लहरों का समंदर है इश्क़ प्यार का जुनून हो तो मिलतें हैं दिल - मनोज 'मानस रूमानी'
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Romantic September is here.. Lovely nature and atmosphere! Forget tensions and leave hate.. Let us make love & spread love.! - Manoj 'manas roomani'
फ़िराक़-ए-यार का हैं दर्द शब-ए-फ़ुर्क़त की तनहाई - मनोज 'मानस रूमानी'
दिल दे-ले कर मुकर जातें हैं हुस्नवालें इस खेल से परहेज़ ही रखें चाहनेवालें! - मनोज 'मानस रूमानी'
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सांझ का रूमानी नज़ारा हैं यह पेड़-पर्बतों पर हैं शाम का नीला सूरज के प्यार के गेरुआ रंग से झील का बदन हैं कुछ निखरा! - मनोज 'मानस रूमानी'
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कुदरत में भी काफ़ी शायरी भरी हुई है जरा इंटरनेट से उठ कर वह आज़माएँ लुत्फ़ उठाएं जब फ़िज़ा रूमानी होती है उस वक़्त बस साथ हसीं होना चाहिएं! - मनोज 'मानस रूमानी'
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स्थिति अब भी है यहीं! कोरोना शायद रोकेगा सिनेमा में रोमांस माशूक़ा को न ले सकेगा आग़ोश मेहबूब! लव बर्ड्स दिख सकतें हैं करतें प्यार और फिर से चूमतें दिखेंगे दो गुल! - मनोज 'मानस रूमानी'
जो कली हमारे गुलशन-ए-दिल की थी वो अब ज़ीनत हैं किसी दूसरे बाग़ की! - मनोज 'मानस रूमानी'
हुस्न आपका खिलखिलाता रहें 🌷 शायरी हमारी रूमानी होती रहें ✍ - मनोज 'मानस रूमानी'
गालों पर रंगत लाता मुस्कुराता रुख़..😊 कहीं दिलों में प्यार के खिला न दे गुल 💕 - मनोज 'मानस रूमानी'
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बड़ी मुश्किल से अब होने लगा चाँद की तरह ही दीदार उनका! - मनोज 'मानस रूमानी'
नूऱ सी लगती है उनकी झलक भी गुलशन में..जहाँ मायूसी है छायी! - मनोज 'मानस रूमानी'
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वो दौर गया जब सिर्फ भाई बहनों की रक्षा करतें थें नए दौर में बहनें भी कभी भाइयों की रक्षा करती हैं जज़्बातों को संभालकर स्वाभिमान बरक़रार रखें वे सलामत रहें भाई-बहनों का ऐसा प्यार दुनिया में! - मनोज 'मानस रूमानी'
तस्वीर आप की जो रहती हैं ख़्यालों में 💗 शायरी हमारी उसे चार चाँद लगा देती हैं ✍ - मनोज 'मानस रूमानी'
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दिल तो यही चाहता हैं.. जी भर के उसे प्यार करूं, खुशियाँ दूँ लेकिन जज़्बातों पे रखा काबू - मनोज 'मानस रूमानी' (Just a Haiku!)
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कोई रिश्ता नहीं हैं उस से फिर भी कुछ लगाव सा हैं कुछ पल की वो हमसफ़र आँखों में नमी सी बसी हैं - मनोज 'मानस रूमानी'
वीरान सी हो जाती है ज़िंदगी साथ न हो ग़र हमनफ़स हसीं - मनोज 'मानस रूमानी'
दौर-ए-वहशत चला हैं कहीं पर ज़िंदगियाँ परेशान हैं कहीं पर! - मनोज 'मानस रूमानी'
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जाड़ों की नर्म धुप हो या... ग़र्मी में पत्तों की सरसराहट! सरलता से मुख़ातिब होते है.. ज़िदगी पर आपके अल्फ़ाज़! - मनोज 'मानस रूमानी' (कवी-गीतकार गुलज़ार साहब को सालगिरह की मुबारक़बाद देते समय याद आ रहीं हैं उनसे मुलाकातें और मेरे 'चित्रसृष्टी' संगीत विशेषांक की उन्होंने की सराहना!)
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जय हिंद! अपने आदर्श भारत की बात वो करतें रहे देशभक्ति का जज़्बा हम में यूँ जगातें रहें - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे भारतीय सिनेमा के ज़रिये देशभक्ति को निरंतर उजागर करनेवाले दिग्गज अभिनेता एवं फ़िल्मकार मनोज कुमार जी का मेरे 'चित्रसृष्टी' विशेषांक के लिए इंटरव्यू लेते समय इस तरह प्यार पाया..जो आज के स्वतंत्रता दिन पर याद आता हैं। उन्हें शुभकामनाएं!)