नज़रिया!

नज़र झुकाकर हलकी सी मुस्कान से
सामने से ग़र वो गुजरे तो है इक़रार!

नहीं तो मुंह मोड़ कर अपनी धुन में
दूर से ही वो चल दिए तो ना इक़रार!

होता हुस्नवालों का यूँ अंदाज़-ए-बयां
फिर भी प्यार करनेवालें चाह्ते इज़हार!


- मनोज 'मानस रूमानी'

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