हुस्न-ओ-इश्क़ के अलावा भी
बहुत कुछ है बाकी दुनिया में!
रंज-ए-फ़ुर्क़त-ए-यार हसीं से
दर्द-ए-दिल और है दुनिया में!

- मनोज 'मानस रूमानी'

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