Posts

Showing posts from May, 2021
ज़ीनत-ए-गुलशन भी मुश्ताक़ हैं 🥀 हुस्न-ओ-इश्क़ का नज़ारा देखने 💞 - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
मिज़ाज गोवा का क्या कहें ज़मीन, समंदर से आसमाँ ज़िंदगी का जश्न जहाँ हैं! - मनोज 'मानस रूमानी' (आज गोवा की ६०वी एनिवर्सरी पर, 'इफ्फी' के दौरान वहां के मीरामर बीच पर बिताई रंगीन शाम याद आयी!)
इंसानियत ने अब ऐसा दिखाया मंज़र परदे का ख़लनायक..असल में नायक - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
ऐसे मौसम-ए-खिज़ा में ठंडी हवा का झोंका आये पेड़ के पत्तों के सरकते ही कोई हसीन फूल नज़र आये - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
Beauty is within the nature True & pure love soothes the soul That is within the nature! - Manoj 'manas roomani'
सयानें होठों ने जो अल्फ़ाज़ होतें हैं रोकें वो मोहब्बत कर देती है बयां नादाँ आँखें - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
दीदावर आप ही थे इस गुलिस्ताँ के ख़ूबसूरत भारत का ख़्वाब संजोये! हरतरफ़ अब वीरानी सी छायी है.. ज़िंदगियाँ परेशां हैं बेनूर ख़िज़ाँ में! - मनोज 'मानस रूमानी' हमारे पहले प्रधानमंत्री 'भारतरत्न' पं. जवाहरलाल नेहरूजी को उनके स्मृतिदिन पर मेरी सुमनांजलि!   - मनोज कुलकर्णी
आसमाँ में ऐसा भी त्रिकोणीय प्यार पृथ्वी का आना सूरज-चाँद के बीच! - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
अब हमें सृष्टी से ही मोहब्बत हो गई है आख़िर में वही हमें बाहों में लेने वाली हैं - मनोज 'मानस रूमानी'     (यहाँ 'सृष्टी' = Nature)
Image
शायरी मेरी हैं मजरूहजी को नज़र मेरे सिर पर जिन्होंने रखा था हाथ - मनोज 'मानस रूमानी' मेरे अज़ीज़ शायर-गीतकार मजरूह सुलतानपुरी जी का आज २१वा स्मृतिदिन! बहुत साल पहले मुशायरे में मिलने पर प्यार से उन्होने मेरे सिर पर हाथ रखा था! - मनोज कुलकर्णी
बालों से झाँक लिया रुख़-ए-महताब ने लगा की चाँद निकल आया बादलों से💗 - मनोज 'मानस रूमानी'
अब किसी परी-जमाल का हो दीदार की मायूस से हो जाए शगुफ़्ता-दिल - मनोज 'मानस रूमानी'
'वो मिठास' नहीं अब खास चाय में.. थी कभी 'दोनों' एकही कप में लेने में - मनोज 'मानस रूमानी'
चाय पे चर्चा नहीं करतें हम चाय लेते शायरी करतें हम - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
अपने वतन के लिए आपकी शहादत उससे सच्ची मोहब्बत की है सदाकत अवसरवादियों के बिच कठिन घड़ी में आप को याद बहुत करता है हिंदुस्तान - मनोज 'मानस रूमानी'   (अपने भारत के अज़ीज़ पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव जी गांधी को उनके ३० वे स्मृतिदिन पर यह सुमनांजलि!)
Image
'आँधी में भी हम खिल सकतें हैं..' ख़ूबसूरत फूल समझा रहा है हमें! - मनोज 'मानस रूमानी' [चक्रवात के बाद हमारे बगीचे में खिला सुंदर फूल.. विपरीत परिस्थिति में भी खिलने की प्रेरणा देता है!]
कहतें इस बार ईद पहले हुई उस तरफ़   शायद रुख़-ए-महताब आया हो नज़र! - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
रहे हमेशा उमर ख़ैय्याम की इनायत तो होती ही रहेंगी हमारी रुबाई ख़ास होता रहें यूँ नूऱ-ए-हुस्न भी मेहरबान रहे आबाद इस कलम की 'रूमानी'यत - मनोज 'मानस रूमानी' (ख्यातनाम फ़ारसी 'रुबाइयात'कार उमर ख़ैय्याम जी के जनमदिन पर उन्हें सलाम करतें लिखा है!)
फिर आ जाइए बनके हमसफ़र 💕 उसी हसीन मोड़ पर रुके हैं हम 🌹 - मनोज 'मानस रूमानी'
कुदरत हमेशा ही इम्तिहान लेती है इंसान को अपनी जगह दिखाती हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
महका पैग़ाम पहुँचा गयी आशिक़ तक 💕 माशूक़ा ने लगायी हीना हसीन हाथों पर - मनोज 'मानस रूमानी'
बहर रही हैं मेरी शायरी पतझड़ के समां में भी! - मनोज 'मानस रूमानी'
ज़िंदगी में तूफ़ान क्या कम था? जो यह चक्रवाती 'तौकते' आया - मनोज 'मानस रूमानी'
ऐसी कैसी दांव पर लगी जिंदगियां अब देनी है कोरोना को शिकस्त मिलके सब - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
शमा अब भी है रोशन आप के लिए.. जलवें अदाकारी के यूँ दिखाती रहिए! - मनोज 'मानस रूमानी'     (अपने लोकप्रिय भारतीय सिनेमा की एक होनहार अदाकारा माधुरी दीक्षित को सालगिरह पर मुबारक़बाद!)
होगा वस्ल-ए-यार और गले मिलना.. बस जाएं बेकसी का समां, लौटे फ़िज़ा - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
ईद की मुबारक़बाद!🌹 सभी परेशानियाँ, फ़िक्र हो दूर.. ईद पर जहाँ हो आबाद मसरूर! - मनोज 'मानस रूमानी'
सरहद के उस तरफ़ और इस तरफ़ 💕 ईद मुबारक़, सलामत हो हर तरफ़ 🌹 - मनोज 'मानस रूमानी'
कल कहीं वाक़ई में चाँद रात हुई 🌙 कहीं हसीन रुख़ के दीदार से हुई 💕 - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
शादाब होते होते अक्सर.. हो जाती हैं ज़िंदगी वीरान ग़र नहीं समझे वक़्त पर.. किसी के प्यार के जज़्बात - मनोज 'मानस रूमानी'
सेहुंड भी क्यूँ न हो हर तरफ़🌵 इश्क़ खिलाता हैं ग़ुल उन पर🥀 - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
धन्य हैं वो माताएं! अपना जीवन बच्चों पर निछावर करनेवाली माँ! अपने से पहले दूसरों को दूध देनेवाली गोमाता! सभी का पालन-पोषण करनेवाली धरती माता! प्यास बुझाकर, पापों को धोनेवाली गंगा मैया! - मनोज 'मानस रूमानी' (मातृदिन पर लिखा!)
हसीन मुस्तक़बिल संवार नहीं सके गुज़श्ता में इस कदर हम उलझे रहें - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
खूबसूरती, प्यार, और पाकीज़गी का क्या कुदरत फिर बनानेवाली हैं जहाँ - मनोज 'मानस रूमानी'     (१९वी सदी के मशहूर स्विस चित्रकार फ्रिट्ज़ ज़ुबेर-बुहलर की इस 'बर्थ ऑफ़ वीनस' चित्रनिर्मिति पर यह लिखा!)
इजाज़त तो सब को है इश्क़ की💗 ये बात और सब के बस में नहीं😊 - मनोज 'मानस रूमानी'