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Showing posts from December, 2021
याद तो बिछड़े दोस्तों को करता हैं मन इसमें भी 'उसे' ख़ास याद करता हैं दिल - मनोज 'मानस रूमानी'
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पहला प्यार! हसीन रुख़ जब समां जाता कमसिन उम्र में आँखों में, प्यार वह बरक़रार रहता.. ताउम्र दिल-ओ-दिमाग़ में - मनोज 'मानस रूमानी'
जज़्बा-ए-इश्क़ कहाँ मानता है सरहद सियासती दिमाग़ की चाल हुई सरहद - मनोज 'मानस रूमानी'
हिज्र में भी प्रेमी दिलों में समाएं रहतें वस्ल में पर कुछ प्रेमी गुमशुदा रहतें! - मनोज 'मानस रूमानी'
'कुछ पत्रकारिता' हैं ख़ुशामद में मगन 'दिव्य' रूप दिखाएं केसरिया हुक़्मरान - मनोज 'मानस रूमानी'
कुछ अख़बार भूलें विज्ञापन नीति शास्त्र पुरे फ्रंट पेज पर केसरिया हुक़्मरान राज - मनोज 'मानस रूमानी'
समंदरी जहाज़ से हवा में उड़ने वाले भूल गए आम जनता ज़मीन पर है! - मनोज 'मानस रूमानी'
लगता साल ऐसे ही गुज़र रहें हैं 🍀 प्यार से गले नहीं मिल सकें हैं! 💞 - मनोज 'मानस रूमानी'
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पर्वतों का ख़ूबसूरत नज़ारा हैं हुस्न भी अपने पुरे शबाब में हैं तो हसीन ग़ज़ल लिख़ जानी है दिल आशना को इश्क़ होना है - मनोज 'मानस रूमानी' (आज के 'अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिन' पर!)
अब विकैट से किसीकी फिर गयी विकेट 🏏 टूट कर घायल भी हुए कई दिल! 💔 - मनोज 'मानस रूमानी'
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शर्मीली सुंदरता! ज़रीन रुख़ पर उनके शरमाई रौनक दिखी सुनकर शायरी अपने हुस्न की तारीफ की शायर उसे ही कहतें ज़ीनत गुलशन की! - मनोज 'मानस रूमानी'
इंसान का वजूद कही गुम हो गया है आए दिन होतें रहें तमाम विवादों में - मनोज 'मानस रूमानी'
राजभाषा उनके काम नहीं आयी.. तब उन्हें राष्ट्रभाषा समझ आयी! - मनोज 'मानस रूमानी'
ख़ुमार-ए-इश्क़ है ये बादल अब बरसना  🌈🌧 जुनून-ए-इश्क़ ही होता बेवक्त फ़रमाना 💞 - मनोज 'मानस रूमानी'
तसव्वुर-ए-जानाँ उनके अलावा नहीं किसी और की चाहत मुमकिन नहीं! - मनोज 'मानस रूमानी'
'आनंद' पाने की ख़्वाहिश में जहाँ ही छोड़ देते है कोई.! - मनोज 'मानस रूमानी'