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Showing posts from August, 2022
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लाजवाब जमाल-ए-हुस्न उनका नूर-ए-महताब हो जैसे आसमाँ! बड़ी मुश्किल से ही होता रहता चाँद की तरह ही दीदार उनका! - मनोज 'मानस रूमानी'
रात क्या अमावस की और क्या पूनम की शब हर हसीं आलम-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ की - मनोज 'मानस रूमानी'
साथ चले प्यार की निशानियाँ मिटा दे इतना दम नहीं है ऐसी किसी आँधी में! - मनोज 'मानस रूमानी'
केसरिया राज बात महिला सशक्तिकरण की हैं करता.. और अबलाओं पर अत्याचार करनेवालें हो जातें रिहा! - मनोज 'मानस रूमानी'
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जय हिन्द! 🙏 आज़ादी के अमृत महोत्सव पर यही हैं मनोकामना.. धर्मनिरपेक्ष जनतंत्र से खूब प्रगति करे भारत अपना - मनोज 'मानस रूमानी' (हार्दिक शुभकामनाएं!)
जश्न-ए-आज़ादी कल था वहां..आज यहाँ छेद कर अलग किए दिल की यह दास्ताँ.! - मनोज 'मानस रूमानी'
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क्रांति..हरदम जरुरी! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. धर्म-जात के परे देखने के लिए इंसानियत ही मजहब के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. दबी आवाज़ उठाने के लिए, दबे जीवन को उभरने के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. अपने वजूद के लिए, अपना हक़ पाने के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. समानता लाने के लिए, सबके सम्मान के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. खुली साँस लेने के लिए, पसंदीदा जीने के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. ज़िंदगी सुधारने के लिए, उसमे अर्थ लाने के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. अभिव्यक्त होने के लिए, कला के सृजन के लिए! हाँ, क्रांति अब भी हैं जरुरी.. प्रेम से जीने के लिए, गले मिलने के लिए! - मनोज 'मानस रूमानी' ('अगस्त क्रांति दिन' के अवसर पर लिखा!)
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Friendship is beyond all relationships We have to preserve the precious Friendship It's rare getting true friend! - Manoj 'manas roomani' [Haiku] (I wrote this on the occasion of 'Friendship Day'!)
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हुस्न-ए-बहार मुमताज जहां..मुख़ातिब हुई हो ऐसी.. तो ताजमहल पर शकील लाजवाब शायरी लिखेंगे ही - मनोज 'मानस रूमानी' (मशहूर शायर-गीतकार शकील बदायुनी जी के यौम-ए-पैदाइश पर, उनकी 'मलिका-ए-हुस्न' मधुबाला के साथ यह तस्वीर देखकर लिखा!)