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Showing posts from May, 2023
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  सुनहरा पल बिताया था हमने वहां कभी शान से सम्मुख जो थे अपने प्रजातंत्र की शान संसद के! - मनोज 'मानस रूमानी' [वर्तमान परिदृश्य के मद्देनज़र, तीस साल से भी पुराना सुनहरा पल याद आया..हमारे 'बी.सी.जे.' स्टडी टूर के दरमियान नई दिल्ली में हमारी पार्लियामेंट विज़िट का!] (छायाचित्र में मैं बीच में क्लासमेट्स के साथ हूँ!) - मनोज  कुलकर्णी
बधाई हो! कर्नाटक में 'कांग्रेस' की हुई बड़ी जीत! दक्षिण भारत में 'बीजेपी' हुई क्या लुप्त? - मनोज 'मानस रूमानी'
कब तक करोंगे बहस धर्म-मज़हब पर गुज़र जाएगी ज़िंदगी बग़ैर किए प्यार! - मनोज 'मानस रूमानी'
तशद्दुद की इंतिहा जहाँ जहाँ हुई.. अवाम वहाँ वहाँ बुलंद होती गई! - मनोज 'मानस रूमानी'
हुकूमत से प्रतिद्वंद्वी को दबाने की.. साज़िश इस पार भी और उस पार भी - मनोज 'मानस रूमानी'
"जय जवान..जय किसान.." यह नारा कभी करते थे हम.! भूल गए आज करते जो राज दुखदायक है इनके फुत्कार.! - मनोज 'मानस रूमानी'
संगीत खुर्ची खेळ आता जुना झाला सत्ता खुर्ची खेळ बहुधा आता आला! - मनोज 'मानस रुमानी'
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हवी राष्ट्रीय एकात्मता! कला-संस्कृतीचा हा महाराष्ट्र असता.. वीर, संत-सुधारकांची ही भूमी असता! अण्णा, अक्का शब्द इथे रुळता.. कर्नाटकी कशिदा साडीवर काढता! इडली-वडा, डोस्यावर ताव मारता आसामच्या चहाची लज्जत घेता! गुजराती गरबा झोकात खेळता... पंजाबी खाना-लस्सीचा स्वाद घेता! ओडिसी नृत्य शैली अनुभवता.. रायचे बंगाली चित्रपट गौरविता! काश्मीर ते कन्याकुमारी म्हणता हिमालयाच्या हाकेला सह्याद्री असता! कशाला मग प्रादेशिक अस्मिता? जर सर्व एकच भारतीय असता.! - मनोज 'मानस रूमानी'
न माने वैज्ञानिकों की थेअरीज़ कहे इंटरनेट उस युग की खोज हाय रे यह केसरियाँ राज! - मनोज 'मानस रूमानी'
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ज़र्द-सहाफ़त के इस खुशामदी दौर में 👏 चल रहीं हैं आज़ाद क़लम मुश्किल से 🤔 - मनोज 'मानस रूमानी' ✍️ ['विश्व प्रेस आजादी दिवस' पर!] (ज़र्द-सहाफ़त = सनसनीखे़ज़ पत्रकारिता!)