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Showing posts from 2023
किताबों की कहानियाँ होतीं रहेगी मुक़म्मल ज़िंदगी की कुछ रह जाती हैं अधूरी मुख़्तसर - मनोज 'मानस रूमानी'
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Thinking about life.. What life I spent.. It's not what I dreamt, It's not what I deserved! - Manoj 'manas roomani'
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आरज़ू-ए-इश्क़! आसमाँ में सब तऱफ चाँदनियाँ छा गई है.. हमारा हसीन तारा अब नज़र आए कहीं से! - मनोज 'मानस रूमानी'
मस्लक-ए-'इश्क़ जुदा रहता हैं उनका.. फ़लसफ़ा इश्क़ का जुदा रहता जिनका! - मनोज 'मानस रूमानी'
इश्क़ हो, इक़रार की गुंजाइश हो, तो इज़हार फ़ौरन हो नहीं तो ताउम्र अफ़सोस..इश्क़ मन में रहा ऐसा न हो ! - मनोज 'मानस रूमानी'
हुस्न-ओ-इश्क़ का पहला एहसास कभी नहीं भूल पाते आँखों से दिल में रहा पहला प्यार निकाल नहीं सकते! - मनोज 'मानस रूमानी'
पराये होकर भी दिल से पास होतें हैं कुछ रिश्ते ऐसे ही निभाए जातें हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
नज़रअंदाज़ करके मयस्सर प्यार को, होता एहसास.. नज़रअंदाज़ हुई मिल रही प्यार की ज़िंदगी..हमनफ़स! - मनोज 'मानस रुमानी'
जीवन जीना भी एक कला-कौशल हैं यही ज्ञात नहीं हुआ, बाकी रहे सीखते - मनोज 'मानस रूमानी'
शतरंज का खेल होती जा रही हैं अब राजनीति वज़ीर जिसमे हरतरफ़ खेले चाल जीतने बाजी! - मनोज 'मानस रूमानी'
जाना रिश्ते, दोस्ती, प्यार..जज़्बातों को काबू रखें इनमें ज्यादा लगाव परेशानी के सिवा कुछ भी नहीं देता इनमें - मनोज 'मानस रूमानी'
ऐसी हसीन कोई बेवजह रूठे..🤔 तो ग़ुलाब भी उसे कैसे मनाये?🌹 - मनोज 'मानस रूमानी'
फ़स्ल-ए-गुल भी तो हमेशा कहाँ हैं रहती, तो उमंग भरे माहौल में अब क्यों मायूसी! - मनोज 'मानस रूमानी'
रिश्तें प्यार के जब होतें बरक़रार रखनें.. हार-जीत के तब कोई मायने नहीं रखतें! - मनोज 'मानस रूमानी'
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🪔 रौनक़ यूँ तो रहेगी ही दिवाली की 🪔 🪔 रोशन ज़िंदगियाँ भी कर दे दिवाली! 🪔 - मनोज 'मानस रूमानी'
धन-दौलत का बाजार बनी हैं दुनिया सौदा-ए-इल्म यहाँ नहीं हो सकता! - मनोज 'मानस रूमानी'
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कोजागरी का चाँद होगा आज आसमान में हमारी महजबीं हमेशा दिल-ओ-दिमाग़ में! - मनोज 'मानस रुमानी'
कोजागरीचे चंद्रदर्शन आज नभात 🌝 आमची चंद्रमुखी नेहमीच मनात! 💗 - मनोज 'मानस रुमानी'
कोई हसीन ताउम्र मन में, कोई हमनफ़स दिल में अजीब दास्तान बनकर रह गई हैं ज़िंदगी हमारी! - मनोज 'मानस रूमानी'
ख़्वाब-ओ-ख़याल में आकर छूटे प्यार का देतें हैं एहसास शरीक-ए-हयात होने से हम से ही जो रह गए हमनफ़स! -  मनोज 'मानस रूमानी'
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आदाब अर्ज़ हैं! दिल में अब भी है शमा आप के लिए फिर आके इसे रोशन आप कीजिए दिल-नशीं हो इस अंजुमन की आप नूर-ए-हुस्न से अब रौनक बढ़ाइये दिलबर रही हो इस जान की आप समा के तस्कीन-ए-दिल कीजिए कबसे मायूस हैं यह दिल बिन आपके इसे फिर शादाब-ओ-शगुफ़्ता होने दे! - मनोज 'मानस रूमानी'
आँखों से उतर कर दिल में बसा वह हसीन रुख़ ही रहा मेरा पहला इश्क़! ज़माना बीता पर न बात, न कह सका 'ताउम्र बस आप ही तो रही मेरा इश्क़'! - मनोज 'मानस रूमानी'
मोहब्बत में सब जहाँ प्यारा लगता नहीं तो कुछ भी गवारा नहीं लगता - मनोज 'मानस रूमानी'
अपने जहाँ में अपनी मर्ज़ी से जो जीनी चाही थी वह ज़िंदगी मंज़िल पहुँचते-पहुँचते थम सी गयी - मनोज 'मानस रूमानी'
दिल-ओ-दिमाग़ की सफाई कब होंगी बाहरी स्वच्छता तो ख़ैर होती रहेंगी! - मनोज 'मानस रूमानी'
सूरज जब ढल जाता हैं ज़िंदगी की शाम होते ही चाँद तब आकर दिखाता हैं रूमानी समाँ हैं बाकी - मनोज 'मानस रूमानी'
उनके हुस्न-ए-नफ़ीस का ऐसा असर आशिक़ करे इश्क़ इबादत समझकर - मनोज 'मानस रूमानी'
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मिसाल-ए-मोहब्बत ताज दुनियाँ में हमारे पास.. मिटाएं जहाँ की नफ़रत सिखाएं सबको प्यार! - मनोज 'मानस रूमानी'
वे वतन-परस्त वफ़ा जतायें जा रहें हैं ये नफ़रत की सियासत कियें जा रहें हैं - मनोज 'मानस रूमानी'
सलाम करना था वतन की हिफ़ाज़त में फ़ना हुएं उनको लेकिन फिर ये हुक्मरान अपनी ही शान में मसरूफ़ रहें! - मनोज 'मानस रूमानी'
फले-फूले पेड़ का पौधा लगानेवाले को करतें नज़रअंदाज़ ये हैं उसका लाभ उठानेवाले अब के हुक्मरान, सियासत! - मनोज 'मानस रूमानी'
झूठी शान दुनिया को वे दिखा रहें हैं गरीबों के घरौंदे पीछे उजाड़ रहें हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
इंकलाबी शायरी का दौर शायद फिर हैं आया हुस्न-ओ-इश्क़ की शायरी तो ख़ैर होती रहेंगी - मनोज 'मानस रूमानी'
इंडिया, भारत, हिन्दोस्ताँ एक ही हैं हमारे लिये लव, प्यार, मोहब्बत..जज़्बा एक ही हैं जिसमें! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुख़्तलिफ़ पुरनूर सितारों से भरा हैं आसमाँ ✨ देखतें हैं वहां कहीं तो हो बसा प्यार का जहाँ 💗 - मनोज 'मानस रूमानी'
सूरज, चाँद, सितारों की तमन्ना रखना ख़ैर ठीक हैं; ग़ुर्बत में लेकिन कई मुंतज़िर हैं थाली में रोटी देखनें! - मनोज 'मानस रूमानी'
दीवाना यूँ हुआ बादल बरसाता ही रहा सावन! - मनोज 'मानस रूमानी'
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रूमानी सितंबर देखों हैं आया.. दिलकश समाँ..ख़ूबसूरत फ़िज़ा छोड़ें नफरतें..भूल जाएं फ़िक्र.. प्यार करें..मौसम हैं आशिकाना - मनोज 'मानस रूमानी'
चाँद को सबका प्यारा चाँद ही रहने दो यहाँ की राजनीति आसमाँ में ना करो! - मनोज 'मानस रूमानी'
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बधाई 'चंद्रयान-३'! मुंतज़िर थें सब जिसे पाने को वो चाँद मयस्सर कर दिखाया! हम प्यार करनेवालों को वाक़ई 'इसरो' आप चाँद मुबारक़ किया! - मनोज 'मानस रूमानी' (अपने 'इसरो' को मुबारक़बाद!)
पयाम-ए-मोहब्बत पहुँचना चाहिए फिल्मों के ज़रिये नफ़रत की आँधियाँ ना उठाई जाए फिल्मों के ज़रिये - मनोज 'मानस रूमानी'
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स्नेह और प्यार उतरता रहें कलम से.. ✍️ अल्फ़ाज़ गुलों की तरह खिलें दिलों में! 🌷 - मनोज 'मानस रूमानी' ('फ्रेंडशिप डे' की शुभकामनाएं!)
'बेटी बचाओं' का महज नारा देनेवाले हैं हुक्मरान! नहीं रोक पाते महिलाओं पर शर्मनाक अत्याचार? - मनोज 'मानस रूमानी'
जिसकी बुनियाद बेवफ़ाई वो इश्क़ कैसा? हंगामा इधर-उधर जिससे हैं जो बरपा..! - मनोज 'मानस रूमानी'
आभासी दुनिया में महज़ खेल हुआ हैं प्यार रिश्तों में पाकीज़गी किसी जहाँ का रहा प्यार - मनोज 'मानस रूमानी'
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चंद्रयान कभी पता तो करे, वह जहाँ-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ क्या वाक़ई हैं चाँद पर? प्यार करने वाले युगों से.. जिससे होतें रहें मुख़ातिब शायर ख़ूब लिखें जिस पर! - मनोज 'मानस रूमानी'
'नाथ हा माझा' नाटकाचा खेळ होऊन गेला.. आता 'दादा कमळ बघ' पाठ गिरवला गेला.. राज्य-कारणाच्या अशा नाना तऱ्हा दिसल्या! - मनोज 'मानस रुमानी' (राज्यातील सद्यस्थितीवर!)
दिखाने के लिए समाजवाद अंदर से संघवाद बरक़रार.! जारी है राजनीती का खेल.. वाक़िफ़ है हम इससे ख़ूब.! - मनोज 'मानस रूमानी'
हर फैसला आपका क्यों मचा देता हैं बवंडर? आप चलते कालीन पर, आम अग्निपथ पर.! - मनोज 'मानस रूमानी'
फ़िक्र होनी चाहिए वह दुनियां घूम रहे है.. ताने सहनेवाले यहाँ हिफाज़त कर रहे है!   - मनोज 'मानस रूमानी'
जिस जहाँ में तुम नफ़रत फैला रहें हैं.. उसी जहाँ में हम मोहब्बत बढ़ा रहें हैं.!   - मनोज 'मानस रूमानी'
नफ़रतें मिटें बस प्यार ही प्यार फैले इस जहाँ में.. मोहब्बतें खिलें ऐसे गुलशन-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ में! - मनोज 'मानस रूमानी'
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  दूर से सही प्यार तो करो.. दिल से दिल मिले रहने दो! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हुस्न-ओ-इश्क़ के दरमियान इज़हार-ए-मोहब्बत का.. गुलाब ही है कुदरत ने दिया हुआ सबसे हसीन ज़रिया.! - मनोज 'मानस रूमानी' ('रेड रोज डे' पर!)
एक बार जो सहा हैं दिल अलग होकर फिर वह घाव नहीं सह सकते टूट कर! - मनोज 'मानस रूमानी'
कभी अतीत उजागर करते तो कभी सियासत से.. यूँ ही भटक रहीं हैं अवाम न जाने किस दिशा में! - मनोज 'मानस रूमानी'
पुराने से नए भवन में वो जा रहें हैं.. पुराने दकियानूसी विचारों के जो है! - मनोज 'मानस रूमानी'  (वर्तमान राजकीय स्थिति पर!)
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  सुनहरा पल बिताया था हमने वहां कभी शान से सम्मुख जो थे अपने प्रजातंत्र की शान संसद के! - मनोज 'मानस रूमानी' [वर्तमान परिदृश्य के मद्देनज़र, तीस साल से भी पुराना सुनहरा पल याद आया..हमारे 'बी.सी.जे.' स्टडी टूर के दरमियान नई दिल्ली में हमारी पार्लियामेंट विज़िट का!] (छायाचित्र में मैं बीच में क्लासमेट्स के साथ हूँ!) - मनोज  कुलकर्णी
बधाई हो! कर्नाटक में 'कांग्रेस' की हुई बड़ी जीत! दक्षिण भारत में 'बीजेपी' हुई क्या लुप्त? - मनोज 'मानस रूमानी'
कब तक करोंगे बहस धर्म-मज़हब पर गुज़र जाएगी ज़िंदगी बग़ैर किए प्यार! - मनोज 'मानस रूमानी'
तशद्दुद की इंतिहा जहाँ जहाँ हुई.. अवाम वहाँ वहाँ बुलंद होती गई! - मनोज 'मानस रूमानी'
हुकूमत से प्रतिद्वंद्वी को दबाने की.. साज़िश इस पार भी और उस पार भी - मनोज 'मानस रूमानी'
"जय जवान..जय किसान.." यह नारा कभी करते थे हम.! भूल गए आज करते जो राज दुखदायक है इनके फुत्कार.! - मनोज 'मानस रूमानी'
संगीत खुर्ची खेळ आता जुना झाला सत्ता खुर्ची खेळ बहुधा आता आला! - मनोज 'मानस रुमानी'
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हवी राष्ट्रीय एकात्मता! कला-संस्कृतीचा हा महाराष्ट्र असता.. वीर, संत-सुधारकांची ही भूमी असता! अण्णा, अक्का शब्द इथे रुळता.. कर्नाटकी कशिदा साडीवर काढता! इडली-वडा, डोस्यावर ताव मारता आसामच्या चहाची लज्जत घेता! गुजराती गरबा झोकात खेळता... पंजाबी खाना-लस्सीचा स्वाद घेता! ओडिसी नृत्य शैली अनुभवता.. रायचे बंगाली चित्रपट गौरविता! काश्मीर ते कन्याकुमारी म्हणता हिमालयाच्या हाकेला सह्याद्री असता! कशाला मग प्रादेशिक अस्मिता? जर सर्व एकच भारतीय असता.! - मनोज 'मानस रूमानी'
न माने वैज्ञानिकों की थेअरीज़ कहे इंटरनेट उस युग की खोज हाय रे यह केसरियाँ राज! - मनोज 'मानस रूमानी'
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ज़र्द-सहाफ़त के इस खुशामदी दौर में 👏 चल रहीं हैं आज़ाद क़लम मुश्किल से 🤔 - मनोज 'मानस रूमानी' ✍️ ['विश्व प्रेस आजादी दिवस' पर!] (ज़र्द-सहाफ़त = सनसनीखे़ज़ पत्रकारिता!)
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ईद की दिली मुबारक़बाद! अमन, भाईचारे का समाँ हर तरफ़ हो प्यार की शमा रोशन हर दिल में हो! - मनोज 'मानस रूमानी'
कडक उन्हात जनतेला होरपळवून.. वातानुकूलित मध्ये का सत्ताभूषण?! - मनोज 'मानस रुमानी'
नफ़रत की सियासत खेल उनका तो कौमी एकता हैं पैग़ाम हमारा! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हमें नाज़ हैं मुल्क के उस दौर-ए-इश्क़ पर मोहब्बत में ताजमहल बनाया गया जब! हमें नाज़ हैं इस आशिक़ाना विरासत पर मोहब्बत की मिसाल जो दिखाती है अब! - मनोज 'मानस रूमानी'
तब शहंशाह थे मोहब्बत की निशानी ताजमहल देनेवाले अब ये हुक्मरान हैं नफ़रत से ऐसे इतिहास मिटानेवाले! - मनोज 'मानस रूमानी'
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फ़िरदौस-ए-ज़मीं यूँ ही खिले 🌸 मिलजुल के प्यार से सब रहें 🫶 हसीं कलियाँ यहाँ ख़ूब खिलें 🌷 मोहब्बत के गुल खिलतें रहें 🌹 - मनोज 'मानस रूमानी'. ✍️
मौक़ापरस्त सियासत यहाँ भी..सरहद पार भी जम्हूरियत का खेल यहाँ भी..सरहद पार भी! - मनोज 'मानस रूमानी'
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GLOBE OF LOVE! Let there be no borders and no walls.. People can go any where they wish..! Let there be no rivalry and no wars... World can unite for all human beings! Let there be no hate among all of us.. Brotherhood and love flourishes lives! - Manoj 'manas roomani' (Best Wishes on Easter!)
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सुब्ह-ए-नौ की आरज़ू में अँधेरे में बसर कर रहे हैं! ग़र्क़ाब मुस्तक़बिल कही फिर चमकाना चाहतें हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
तिकडे 'बात मन की' इकडे 'बोलतोय मी.!' म्हणे गरीब, शेतकरी.. 'कधी ऐकणार तुम्ही?' - मनोज 'मानस रूमानी'
सोचो और बोलो!!! सबका साथ उद्योजकों का विकास या साथ दिया जनता का विकास..! पूंजीवादी व्यवस्था या समाजवाद.. मूलतत्ववाद या सर्व धर्म समभाव! दकियानूसी विचारों से पीछेहठ... या तकनिकी तरक्की से विकास!! - मनोज 'मानस रूमानी'
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अमर आशिक़!! जब तक होंगी दुनियाँ में मोहब्बत.. चाँद को देख़कर होगा मासूम प्यार ताजमहल है सच्चे प्यार की मिसाल होते रहेंगे हीर-रांझा, सोहनी महिवाल फ़ना है लैला-मजनु, रोमीओ-जूलिएट पारो के लिए तड़पते रहेंगे देवदास.. फिर भी न होने देंगे इन्हें बदनाम.. उन्होंने ही किया था सच्चा प्यार! - मनोज 'मानस रूमानी'
अब जो हैं हमारा..वो सब हैं आपका.. सिर्फ़ जिसमें हैं आप..वो दिल हमारा! - मनोज 'मानस रूमानी'
भ्रष्ट तानाशाही की अब तो हद हो गई.. जम्हूरियत, अभिव्यक्ति पर आँच आ गई - मनोज 'मानस रूमानी'
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नव वर्ष..विचार!! चैत्रातील हा नव वर्षारंभ घेऊन येवो नव चैतन्य..! 'वसुधैव कुटुंबकम्' विचारानं सर्व मानवजातीच्या प्रगतीचं! धर्म-जात सर्व भेद विसरून.. प्रेम, स्नेह भाव रुजवण्याचं! - मनोज 'मानस रूमानी'
रोमियो, मजनु थे सच्चे आशिक़ ही.. उनकी माशूकाए भी थी उन्हें चाहती! - मनोज 'मानस रूमानी'
पुन्हा धुळवड दोन रंगांची.. अस्तित्वाची नि हुकुमतीची! मिसळावी यात बंधुभावाची माणूसकीची आणि प्रेमाची.! - मनोज 'मानस रुमानी'
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कहीं दीवारे..कहीं सरहदें.. सीमाओं में बंद मोहोब्बतें! फिर भी ज़ोर-ए-जज़्बात.. रहें पैग़ाम-ए-प्यार फैलाए! - मनोज 'मानस रूमानी'
काफ़ी हैं हमें हमदम, हमनफ़स की तवज्जोह नहीं दिलचस्पी, न चाहते हुजूम की तवज्जोह - मनोज 'मानस रूमानी'
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होते कुछ अपने जज़्बात, फ़साने, कुछ फ़लसफ़ा.. ऐसी शायरी हमारी ज़माने से भी होती हैं वाबस्ता! - मनोज 'मानस रूमानी' ('वर्ल्ड पोएट्री डे' मुबारक़!)
मुख़्तसर हैं ज़िंदगी और अधूरा है काफ़ी कुछ पसंदीदा काम, ज़िम्मेदारी, ख्वाहिशें, ख़्वाब! - मनोज 'मानस रूमानी'
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इब्तिदा-ए-इश्क़ हमेशा ही हुआ; इज़हार-ए-'इश्क़ सिर्फ़ नहीं हुआ जज़्बा-ए-मोहब्बत भी नहीं थमा; क्योंकी दीदार-ए-हुस्न होता रहा! - मनोज 'मानस रूमानी'
वो राह-ए-मंज़िल, हमनफ़स नज़रअंदाज़ न होतें गुज़री है ज़िंदगी ये अहम गँवाने की नदामत में! - मनोज 'मानस रूमानी'
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शबाब.! नज़ाकत से भरी यह चाल, अदाएं.. हवा का रुख़ बदलती रेशमी जुल्फ़े.. बेशुमार प्यार भरी पंखुड़ियों सी आँखे दिल-ए-आशिक़ संभल जाए भी कैसे! गुलाबों रंगत लिए लबोँ की बहारें.. गाल पर तिल..की बचे नज़रों से.. ज़ीनत तुम गुलशन-ए-हुस्न से... दिल-ए-आशिक़ संभल जाए भी कैसे! - मनोज 'मानस रूमानी'
रस्म-ओ-रिवाज के बस में जहाँ ज़िंदगियाँ.. कोई कैसे चाहे वहाँ खोये प्यार का आसरा! - मनोज 'मानस रूमानी'
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अपना ग़म छुपाके ख़ुशियाँ बाँटतें चले गए बड़े दिल के इंसान की मिसाल देते चले गए - मनोज 'मानस रूमानी' (लगभग चार दशक बतौर लेखक, निर्देशक और अभिनेता के रूप में अपने फ़िल्म जगत में ज़िंदादिल शख़्सियत रहें सतीश कौशिक जी का अचानक इस जहाँ को छोड़ जाना दुखद हैं। उन्हें यह सुमनांजलि!)
अभी तक आप के इख़्तियार में रहे ऐ ज़िंदगी अब तो हमारे इख़्तियार में आओ ऐ ज़िंदगी! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हसीन हो ज़िंदगी की ऐसी ईजाद.. कि हम उभर आए बनके कोहिनूर! - मनोज 'मानस रूमानी'
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अपने जहाँ से हम रुख़सत तो हुएं लेकिन दिलों से शायद नहीं हुएं! ठीक हैं अब अपनों में खुश दिखाना पर दिल की उलझन कैसे सुलझाए? - मनोज 'मानस रूमानी'
कशिश हमें ही छूटें हसीन लम्हों की तरफ़ उन्हें भी तो हो, इनमें जो थे कभी शरीक! - मनोज 'मानस रूमानी'
हुस्न की तारीफ़ में हो शाइस्तगी इश्क़ में भी तो होती है पाकीज़गी - मनोज 'मानस रूमानी'
सब कुछ तो पा लिया था तदबीर से; पर कहतें हैं ना खो दिया तक़दीर से! - मनोज 'मानस रूमानी'
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ताज के पास कभी यूँ थे दोस्त के साथ काश की कभी यूँ होते मेहबूबा के साथ! - मनोज 'मानस रूमानी' (आगरा में ताजमहल के यहाँ की बहुत साल पुरानी याद!)
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कभी यूँ बैठें थे दीवान-ए-ख़ास में.. जैसे की बैठें हो दीवान-ए-आम में! - मनोज 'मानस रूमानी' (हाल ही में आगरा किले के इस ऐतिहासिक जगह हुए कार्यक्रम के मद्देनज़र, हमारी बहुत साल पुरानी याद!)
याद तो उसकी हरदम जज़्बाती करती हैं.. ऐसा अटूट रिश्ता जिससे कभी बन गया हैं - मनोज 'मानस रूमानी'
शतरंज की बाजी हुई हैं सियासत जाल सब जगह फैलाएं हैं हुक्मरान - मनोज 'मानस रूमानी'
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इसी दिन इस हसीन का जन्नत से तशरीफ़ लाना शायद इस जहान को ख़ूबसूरत रूमानी करना था! - मनोज 'मानस रूमानी' (अपने भारतीय सिनेमा की 'मलिका-ए-हुस्न' मुमताज जहां..मधुबाला की याद..उनकी ९० वी यौम-ए-पैदाइश पर!)
साथ चले थे कभी मिलकर हमनफ़स उड़ान भरते ही न हो सके हमसफ़र! - मनोज 'मानस रूमानी'
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खिलतें रहें यूँ गुल मोहब्बत के.. महकें फ़िज़ा प्यार भरी ख़ुशबू से - मनोज 'मानस रूमानी' (इन रूमानी दिनों के मद्देनज़र!)
लौट आएगी खोयी हुई वह बहार ज़िंदगी में इस आरज़ू में अर्से से हैं दश्त-ए-तन्हाई में! - मनोज 'मानस रूमानी'
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भाग्यशाली मी! गान सरस्वती यांच्या दरबारात.. जीवनातील असा हा सोनेरी क्षण! आपलेपणाने झालेली सुरीली बात, जीवन संगीताने भारावलेला क्षण! - मनोज 'मानस रूमानी' (माझा 'चित्रसृष्टी' संगीत विशेषांक 'स्वरसम्राज्ञी' लता मंगेशकर जी यांना दाखवल्यावर, कौतुकाने त्या पाहतानाचा सोनेरी क्षण आठवत.. त्यांस प्रथम स्मृतिदिनी माझी ही विनम्र शब्द सुमनांजली!) - मनोज कुलकर्णी
अब तो फ़स्ल-ए-गुल रास आएं हमें 🌹 दिल बेक़रार हैं खिलने को मुद्दत से 💗 - मनोज 'मानस रूमानी'
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बहुत बधाई !! प्यार-भाईचारे का पैग़ाम पहुँचाने का पूरा हुआ वादा जो था देशवासियों से! कन्याकुमारी से यूँ कश्मीर पहुँचकर पायी मंज़िल 'भारत जोड़ो यात्रा' ने! - मनोज 'मानस रूमानी' ('कांग्रेस' नेता राहुल जी गांधी और 'भारत जोड़ो यात्रा' की बड़ी सफलता!..श्रीनगर के लाल चौक पर ध्वजारोहण!)
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ख़त्म शरीर होता हैं, विचार जिंदा रहतें हैं अमर होतें हैं महात्माएं अपने विचारों से! - मनोज 'मानस रूमानी' (अपने भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को ७५ वे स्मृतिदिन पर विनम्रतापूर्वक नमन!)
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  जंग-ए-ज़िंदगी में ख़ुद-कफ़ील होने.. बड़ी शिद्दत से यूँ बैठे है हम मतवाले! - मनोज 'मानस रूमानी'
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ईर्ष्या, मुक़ाबला ये अल्फ़ाज़ नहीं आतें ऐसे जज़्बाती क़लमकारों की दोस्ती में खिलखिलाती हैं शेर-ओ-शायरी प्यार की महफ़िल इन सुख़नवरों की जब सजती हैं! - मनोज 'मानस रूमानी' (मशहूर लेखक-शायर जावेद अख़्तर जी पर लिखी गई किताब 'जादूनामा' का विमोचन हालही में जानेमाने लेखक-शायर गुलज़ारजी के हाथों हुआ। तब इन दो दिग्गजों के बीच की गहरी दोस्ती की जैसे महफ़िल खिली थी! उसपर उनको मुबारक़बाद देते हुए मैंने लिखा!)
अच्छे दिन का वादा यहाँ भी और वहा भी उलझन में परेशान यहाँ भी और वहा भी.! - मनोज 'मानस रूमानी'
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ज्ञान का उजाला हो, प्यार के तरानें गूँजें यह बसंत पंचमी सृजन के कई रंग लायें - मनोज 'मानस रूमानी'
अच्छे दिन तो पूंजीपतियों के ही रहें.. मुफ़लिसों के लिए तो ये ख़्वाब ही रहें! - मनोज 'मानस रूमानी'