कभी यूँ बैठें थे दीवान-ए-ख़ास में..
जैसे की बैठें हो दीवान-ए-आम में!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(हाल ही में आगरा किले के इस ऐतिहासिक जगह हुए कार्यक्रम के मद्देनज़र, हमारी बहुत साल पुरानी याद!)

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