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Showing posts from 2024
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मुख़्तलिफ़ कितने है रंग हमारे मिले है फिर भी तीन ही रंगों में! जुदा करने के कैसे भी हो इरादें बहरहाल, हम तो साथ ही रहेंगे! भाईचारा, प्यार को रहें फैलातें पैग़ाम-ए-मोहब्बत पहुँचाते रहेंगे! - मनोज 'मानस रूमानी'
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ईद की मुबारकबाद! 🌹 मुबारक़ हो सबको ईद का चाँद.. रहे सलामत, आबाद, ख़ुशहाल.! - मनोज 'मानस रूमानी'
सोचो!!! सबका साथ..उद्योजकों का विकास या साथ दिए जनता का विकास..! पूंजीवादी व्यवस्था या समाजवाद.. मूलतत्ववाद या सर्व धर्म समभाव! दकियानूसी विचारों से पीछेहट... या तकनिकी तरक्की से विकास!! - मनोज 'मानस रूमानी'
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HAPPY EASTER! Cherry blossom in Spring Love blossom in Heart.! - Manoj 'manas roomani'
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सृष्टी नि मानव! सूर्य म्हणेल माझा धर्म... विश्वाला प्रकाशमय करणे! चंद्र म्हणेल माझा धर्म... रमणीय शीतलता देणे! हवा म्हणेल माझा धर्म... जगणाऱ्यांस प्राणवायू देणे! जल म्हणेल माझा धर्म... प्राणिमात्रांची तहान भागवणे! झाड म्हणेल माझा धर्म.. फुल, फळ, सावली देणे! मानव इथे काय म्हणेल...? उमगले की सांगेन म्हणतो! - मनोज 'मानस रूमानी'
किस दौर में ले जा रही हैं ये सियासत.. अब कौनसा मंज़र दिखाएंगी ये हुकूमत - मनोज 'मानस रूमानी'
अनिष्ट गोष्टी, प्रवृत्तींची होळी फक्त म्हणायचं नैतिकता, तत्वे, स्वाभिमान हेच जणू जळतंय! - मनोज 'मानस रुमानी'
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खिले गुल-हा-ए-दिल! वहां असल में जीवन हैं.. कथित आधुनिक शहरों से दूर.. मानवता खोयी हुई भीड़ से दूर! सृष्टि की आग़ोश में.. खुली हवा में,..हरियाली से गुज़रते खिलतें फूलों में..उनकी महक लेते! पतझड़ में जो गुम हुएं.. वे हसीन पल..ढूँढ़ते वहां जाकर आए अब यह बसंत..लेकर बहार! - मनोज 'मानस रूमानी'
आतंकी आंधी से हमेशा तबाह ये हुएं, वो भी हमदर्दी इनसे, तो ग़म-गुसारी हो उनसे भी! - मनोज 'मानस रूमानी'
रईसों की शादी शान-ओ-शौकत सितारों का मेला मुफ़लिसों की शादी जैसे दिन में तारे दिखाई देना! - मनोज 'मानस रूमानी'
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अबोली आता बोलू लागली फुलून आसमंत पाहू लागली पानापानांतून जणू व्यक्त होत सुगंध आपलाही दरवळू लागली! - मनोज 'मानस रुमानी' ('महिला दिन' निमित्त रूपक!)
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  🌹 💗 गुलाब कभी जो दिया था तुझे.. कुछ वक़्त तुमने संभाला होगा! मिलने की गुंजाइश ना देखके.. फिर हाथ किसी का थामा होगा! गुलाब फिर ना दिया किसे मैंने; दिल तुमने भी पास रखा होगा! - मनोज 'मानस रूमानी'
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इश्क़ और मोहब्बत हैं तो एक; पर कहते इनके अंदाज़ अलग! फ़ना होने तक का जज़्बां हैं इश्क़, साथ प्यार से बिताना है मोहब्बत! - मनोज 'मानस रूमानी' ('वैलेंटाइन डे' मुबारक़!)
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इज़हार-ए-मोहब्बत वक़्त पर कर लें इक़रार की गुंजाइश गर दो-तरफ़ा हैं! अव्यक्त, उनके पयाम के इंतज़ार में.. इश्क़ महज़ अफ़साना ही बन जाता हैं! - मनोज 'मानस रूमानी' ('प्रपोज डे' पर!)
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खिलतें रहें यूँ गुलाब हुस्न के.. महकें फ़िज़ा इश्क़ की ख़ुशबू से - मनोज 'मानस रूमानी' ('रोज डे' मुबारक़!)
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  मजमुआ-ए-शायरी कुछ यूँ होगा हमारा.. हुस्न-ओ-इश्क़ की बातें और फ़लसफ़ा; ग़म-ए-फ़ुर्क़त और हक़ीक़त से वाबस्ता होगा बयां इससे ज़िंदगी का अफ़साना! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हसीन पहले इश्क़ के ख़ुमार में नज़रअंदाज़ हो गई हमनफ़स! ना उसके हो पाए और ना इसके फिर भी क्यूँ ये इंतज़ार-ए-वस्ल! - मनोज 'मानस रूमानी'
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सोचता हूँ ज़िदगी कैसी रही तसव्वुर की तसव्वुर में रही! अपना जहाँ, हसीन हमसफ़र ख़्वाहिशें मन की मन में रही! - मनोज 'मानस रूमानी'
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उम्मीदें अब भी हैं बाकी, ख़्वाब भी हैं अधूरे मनोकामना यही अपना गणतंत्र आबाद रहें - मनोज 'मानस रूमानी' (शुभकामनाएं!)
गुम ना हो जाएं अपने-अपने रंगों में हमसफ़र बने रहें सब रंगों में समायें - मनोज 'मानस रूमानी'
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धार्मिक न होते हुए भी मैंने यह गीत लिखा हैं! आदर सभी धर्मों के प्रति हैं। इस धरती के प्रभु राम! आते, मिलते, जाते यहाँ लेते जिनका नाम आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम! युवराज ऐसे दशरथ-कौशल्या के वनवास गए उनका वचन निभाने जान कर बसर किए जीवन आम आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम! पतिव्रता सीता संग आई आपके बंधु लक्ष्मण रहे साथ रखवाले पादुका संभाले भरत दिए सम्मान आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम! उच-नीच कभी ना माने शबरी के दिए बेर खाये अहिल्या का भी किए उद्धार आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम! पवनपुत्र हनुमान खूब सेवा निभाये सिया राम ही रखे जिसने सीने में छोटी गिलहरी का भी माना योगदान आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम! संहार किया असुरों का धनुष से लंकापति रावण का आख़िर वध किये अच्छाई ने बुराई पर ऐसी की मात आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम! विजयी होकर जब अयोध्या लौटे प्रजा हित सोच पर ही ध्यान दिये सिया राम आपकी रही महिमा महान आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम! - मनोज 'मानस रूमानी' (मनोज कुलकर्णी)
बेवक़्त आ कर भी समाँ रूमानी कर गयी बरसात वैसे हर वक़्त उनका, जिनका आशिक़ाना मिज़ाज - मनोज 'मानस रूमानी'
यूँ ही आते रहते हैं, जाते रहते हैं साल नए नया माने जब नई दुनिया का नूऱ ले आए! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हो..तमन्ना पूर्ति का उम्मीद, उमंग से भरा प्यार-भाईचारे से खिला मुबारक यह साल नया! - मनोज 'मानस रूमानी'