मेरे इस 'शायराना' ब्लॉग पर मैं..'मनोज 'मानस रूमानी' इस नाम से मेरी शायरी लिख रहां हूँ! - मनोज कुलकर्णी (पुणे).
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सोचो!!!
सबका साथ..उद्योजकों का विकास या साथ दिए जनता का विकास..!
पूंजीवादी व्यवस्था या समाजवाद.. मूलतत्ववाद या सर्व धर्म समभाव!
दकियानूसी विचारों से पीछेहट... या तकनिकी तरक्की से विकास!! - मनोज 'मानस रूमानी'
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सेक्युलर इंडिया की शान थे आप 'मिसाइल मैन' जाने जाते थे आप उभरते वैज्ञानिकों की प्रेरणा थे आप बच्चे-युवा सभी के आदर्श थे आप! - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के पूर्व राष्ट्रपति 'भारतरत्न' डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी के जनमदिन पर उन्हें सलाम करते मैंने यह लिखा!)
वस्ल-ए-इश्क़ ही नहीं होती.. मंज़िल रूहानी मोहब्बत की! प्यार तो उनका अमर हुआ.. इश्क़ में जो तड़पते रह गए! मोहब्बत तो रहती दिलों में.. मिलना हो या न मिल सकें! - मनोज 'मानस रूमानी'
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