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Showing posts from July, 2020
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रफ़ी-ए-हिन्दोस्ताँ! मीठी आवाज़ के शहेनशाह थे वो जहाँ-ए-तरन्नुम से पधारे थे वो! फ़न के सही दीदावर थे वो बहार-ए-मौसीक़ी बने थे वो! वतन को नायाब तोहफ़ा थे वो आवाज़ का कोहिनूर ही थे वो! हमारे जज़्बातों से वाबस्ता थे वो आसमाँ से आए फ़रिश्ता थे वो! - मनोज 'मानस रूमानी' (सुरों के शहेनशाह और मीठी आवाज़ के मालिक हमारे अज़ीज़..मोहम्मद रफ़ी साहब को ४० वे स्मृतिदिन पर सुमनांजलि अर्पित करते लिखा!)
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THE FOG! When fog occurs in atmosphere we can not see around us When fog occurs in life we disappear for awhile in search of ourselves in search of our love! - Manoj 'manas roomani' [I just wrote a verse on this picture from Antonioni's colour Italian film 'Red Desert' (1964) one of my favourites!]
हैं गर सॉलिडैरिटी के लिए ब्लैक एंड व्हाइट चैलेंज! तो हटाने रेसिज़म भी.. हो वैसा सामाजिक बर्ताव - मनोज 'मानस रूमानी'
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Let the darkness vanish by light of your beauty Let the hearts bloom by smile of your cutie - Manoj 'manas roomani' (I just wrote these lines..when saw this picture of my favourite pretty Penelope Cruz's arrival at 'Venice Film Festival' last year!)
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ज़ीनत-ए-हुस्न! क्या रंग भरोंगें आप उसमे  जो थी अपने हुस्न में रंगी! सब रंग के फूल पड़ेंगे फ़िके.. ज़ीनत हैं वो बाग़-ए-हुस्न की! - मनोज 'मानस रूमानी'
'ब्लैक एंड व्हाइट' छवि का क्या चल रहा हैं चैलेंज? करते जो 'वैसा' कारोबार उनको भी दो ये चैलेंज!  - मनोज 'मानस रूमानी '
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आदाब अर्ज़ हैं! बुरा सपना तो सुख देता है.. क्योंकि निकलता हैं वह झूठा अच्छा सपना ही दुख देता है..  क्योंकि निकलता हैं वह झूठा ज़िंदगी, तू अब अहसास दे  जो हुआ वह बुरा सपना था! और अब अच्छा दिखायी दे  लेकिन ना निकले वह झूठा! - मनोज 'मानस रूमानी'
जरुरत नहीं होती की हर बात कहें 'मानस' कुछ आँखों पर छोड़ देतें! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हुस्नवालें तो दिखातें रहतें हैं अदा 'मानस' सब पर नहीं होते फ़िदा! - मनोज 'मानस रूमानी' (इंस्टाग्राम पर सेलिब्रिटीज पोस्ट करतें फोटोज़ देखकर यह लिखा!)
गिला सितारों से था..तो पूछने गया.. दिल तो उसका बेचारा यही रह गया! - मनोज 'मानस रूमानी'
दूध पीते क्या मालुम नहीं नाग ये! अपने इर्द-गिर्द, जो समाज में बैठे हैं फनी निकाल के.. वो दूध क्या, खून चूसते हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आदाब अर्ज़ हैं! ख़ामोशी से ही बयां होते हैं दिल यूँ प्यार करनेवालों के - मनोज 'मानस रूमानी'
ग़ुलाबी हुई थी फ़िज़ा आज यहाँ शाम शायद हो वह उसके प्यार का ख़ुमार! - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे यहाँ कोरेगांव पार्क में आज वाक़ई शाम को वातावरण ग़ुलाबी हुआ था, तो मैंने यह लिखा!)  
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थी उन्हें गाने की ख़्वाहिश भी लेकिन बने सिर्फ़ गीतकार ही लम्हा ऐसा भी आया कभी इनकी कलम फ़नकार ने ली लेकिन ये न दिखा सके गायकी क्योंकि सामने थी आवाज़-ए-रफ़ी - मनोज 'मानस रूमानी' (मशहूर गीतकार आनंद बख्शी जी की तमन्ना थी वे गायक भी बने! यहाँ उन्हें हमारे मीठी आवाज़ के बादशाह मोहम्मद रफ़ी जी के साथ ऐसा देखा, तो मैंने ऊपर के मेरे अशआऱ लिखे!) - मनोज कुलकर्णी
वैसे भी नक़ाब ओढ़े होते है शख्स.. मास्क तो ख़ैर अब आए हैं 'मानस'  - मनोज 'मानस रूमानी'
वहाँ के फैज़ और फ़राज़  यहाँ के साहिर, मजरूह, शकील, हसरत  'मानस रूमानी' की शायरी उनसे हैं मुतासिर! - मनोज कुलकर्णी
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मिलते हैं जब दो किस्म के.. नग़्मानिगार और मौसिक़ार गिले-शिक़वे नहीं, होती है.. शायरी-जाम की महफ़िल! - मनोज 'मानस रूमानी' (मशहूर गीतकार आनंद बख्शी जी और प्रतिभाशाली संगीतकार ख़य्याम जी की एकसाथ की यह तस्वीर देखकर लिखा!)
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सजी महफ़िल जब दो शायरों की.. तो अशआऱ और जाम तो होंगे ही!  - मनोज 'मानस रूमानी' (मशहूर गीतकार/शायर..आनंद बख्शी जी और साहिर जी एकसाथ की यह तस्वीर देखकर लिखा!)
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न वो सावन..न तुम! सावन कभी सुहाना हुआ करता था ख़ुमार लिए बूँदे बरसती थी धूँप भी यूँ भीगी होती थी सावन कभी सुहाना हुआ करता था हरियाली हरतरफ़ नज़र आती भीगी मिट्टी की ख़ुशबू आती सावन कभी सुहाना हुआ करता था झूले पड़ते, कुँवारियाँ उछलती मोर नाचतें, कहीं प्रीत बहरती अब वो सावन मायूस नज़र आता न वो बरसात रूमानी दिखती न कोयल कुह मन को भाती अब वो सावन मायूस नज़र आता न वो माहौल रहा न हालात भी न हमदम और वो चाहनेवाली अब वो सावन मायूस नज़र आता 'मानस' तुम वो रहे नहीं सामने वो भी तो नहीं! - मनोज 'मानस रूमानी
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राष्ट्रध्वज को जनमदिन मुबारक़! हमें न भाये किसीका गेरुआ   हमें तो प्यारा हमारा तिरंगा - मनोज 'मानस रूमानी'
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ज़मीन पर ऐसा हुस्न दिखाई दिया आसमाँ जब ज़्यादा ही मेहरबां हुआ क्या फ़िर कोई हूर भेजी गयी यहाँ 'मानस' इसका एहसास तो हुआ! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आदाब अर्ज़ हैं.! ज़माने को क्यूँ बताएँ हम.. 'मानस' किससे हैं मुख़ातिब! वाकिफ़ हैं वो जिनपर होते.. हमारे यूँ रूमानी अशआऱ! - मनोज 'मानस रूमानी'
यहाँ कौनसी दोस्तों की महफ़िल हैं सजी 'मानस' तुम नापसंद से रहा करो दूर ही! - मनोज 'मानस रूमानी'
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PARIS..MON AMOUR! Comment Paris romantique pour les amoureux Exprimer l'amour a la Tour Eiffel Romance en tournee de La Seine Calin au pont Love Lock French kiss en parc Monceau 'manas' revant, revant! - Manoj 'manas roomani' (Here I just tried to express my feelings about romantic Paris in French!) [Now here is its translation in English: PARIS..MY LOVE! How romantic paris for lovers Expressing love at Eiffel Tower Romance in tour of La Seine Hug at Love lock bridge French kiss in Park Monceau 'manas' dreaming, dreaming! - Manoj 'manas roomani']
शराफ़त आजकल गवारा नहीं किसीको  'मानस' तुम भी इतना मत सोचा करो!   - मनोज 'मानस रूमानी'
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'PRIDE OF INDIA' BLOOMS! One more flower in my favourite colour species of 'Lagerstroemia' in lavender! Oh, they called it 'Pride of India'.. and enlightenment tree of Buddha! Blooms only at peak of summer.. the unique creation of nature! Manas, is it also metaphor of love? blooms with beauty's acceptaance! - Manoj 'manas roomani'
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BE FREE.! We should be free.. like flowing water, wind! We should bloom.. like flowers on tree! We should enjoy life.. like butterflies in nature! - Manoj 'manas roomani' (I just wrote this on anniversary of historical 'French Revoloution'!)
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YOU ARE FREE TO.! You can keep changing style of your attire! But keep on wearing in same Rich manner! You can keep changing style of your hair! But keep on behaving from your Kind mind! You can keep changing the looks of eyebrows! But keep on looking in same Polite way! You can keep changing colour of your lipstick! But keep on talking in same sweet word! And keep 'Manas' allowing to express his Love! - Manoj 'manas roomani' (This I wrote in general; not address to this pretty actress or anybody!)
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आदाब अर्ज़ हैं.! तख़्लीक़-ए-अदब उन्हें क्या बताये 'मानस' जो नहीं क़द्रदान-ए-क़लम और हैं नासमझ! - मनोज 'मानस रूमानी'
फ़लक के सितारें तो हमने साथ देखें थे.. जमींपर लकीर से फिरंगी जुदा कर गये! - मनोज 'मानस रूमानी'
उर्दू तो दिल से पढ़ी जाती हैं  दिमाग़ अंग्रेजी को देनेवालें! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आदाब अर्ज़ है.! तारीफ़-ए-हुस्न में किसे नहीं शग़फ़.. 'मानस' तुम इज़हार जारी रखो बस! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आदाब अर्ज़ है.! इनायत उस बहार-ए-हुस्न की हैं.. 🌷 जो हम से रूमानी शायरी होती हैं! ✍️ - मनोज 'मानस रूमानी'
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आदाब अर्ज़ हैं..! एक लंबा अर्सा हुआ है, मैं यहाँ..'मनोज 'मानस रूमानी' नाम से अपनी शेर-ओ-शायरी लिख रहां हूँ। या यूँ कहिएं  इस माध्यम से व्यक्त हो रहां हूँ। शायद आप पढ़तें होंगे! इस 'शायराना' ब्लॉग पर मेरी ३०० से ऊपर शेर-ओ-शायरी प्रसिद्ध हुई हैं। जिसमें रोमैंटिक और कंटेम्पररी दोनों हैं। अब 'आदाब अर्ज़ हैं..!' इसके अंतर्गत मैं अपनी शेर-ओ-शायरी (किमान एक शेर रोज़) यहाँ पोस्ट करने की कोशिश करूँगा! - मनोज कुलकर्णी ('मानस रूमानी')
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मुक़द्दर का सिक़न्दर हैं वो.. मायस्थेनिया ग्रेविस जैसे पर भारी पड़ा जो कोरोना से क्या हारेगा वो! - मनोज 'मानस रूमानी'
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AS A ROMANTIC..! Romantic people likes Sunset not Sunrise! Romantic people likes Candlelight not Tubelight! Romantic people likes Lavender not Saffron! Romantic people likes French not English! Romantic people likes Pushkin not Wilde! Romantic people likes dreams not frustration Romantic people likes Mozart not Jazz! Romantic people likes sensuous not abstract! Romantic people likes Love not Hatred! Romantic people likes romance not debate! - Manoj 'manas roomani'
मेरी शायरी के हक़ सिर्फ़ मेरे पास है  कृपया इसे इस्तेमाल मत कीजिए! - मनोज कुलकर्णी ('मानस रूमानी')
दीदार-ए-हुस्न तो होता रहेगा 'मानस' लेकिन यूँ दस्तक़ नहीं पड़ती दिलपर! - मनोज 'मानस रूमानी'
चराग़-ए-रहगुज़र जलाते चलो 'मानस'  नज़र नहीं आती राह अभी इतनी साफ़   - मनोज 'मानस रूमानी'
नसीहत-ए-तमद्दुन उनको क्या देंगे  'मानस' वो हैं पहचान-ए-मुल्क भूलें  - मनोज 'मानस रूमानी'
वो ख़ुश हैं उसकी सजाई महफ़िल में  'मानस' तू अपने फूल ना रख उसमे! - मनोज 'मानस रूमानी'
अब रिफ़ाक़त क्या तलाश करे 'मानस' तुम न समझे उसे हो रही थी हमसफ़र! - मनोज 'मानस रूमानी'
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रहनुमा थे वो हम सिनेमा के मुसाफ़िर के.. पूरा जीवन जो जिए सिर्फ़ सिनेमा के लिये! - मनोज 'मानस रूमानी' (आज गुरुपूर्णिमा के दिन याद आएं हमारे फ़िल्म हिस्टोरियन नायरसाहब!)
थे महाभारत में ऐसे गुरु द्रोणाचार्य.. दिया दक्षिणा अँगूठा वंचित एकलव्य - मनोज 'मानस रूमानी'
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अस्त होकर उदय होते सूरज को आज़माया वही से जीने की रोशनी हमने पायी आप के समंदर तट से - मनोज 'मानस रूमानी' (आज फ़िरसे कन्याकुमारी के पावन स्थल की मेरी यह तस्वीर..क्योँ की आज स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथी हैं। हांलाकि मैं धार्मिक नहीं, लेकिन एक तत्ववेत्ता के रूप में वे श्रेठ थे और धर्मनिरपेक्ष भी!)
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हे मेघ,  प्रहिणोति प्रियता संदेशः "त्वं मे प्रियतमा,  परिचिन्तन नितराम् लोलुपा..मेलनं करोति प्रणयाराधनाः!" - मनोज 'मानस रूमानी' (आषाढ़ मास शुरू होते ही गगन में दिखतें बादलों से..'मेघों द्वारा प्रेमिका तक अपना विरहाकुल संदेश भेजने की'..महाकवि कालिदास की कल्पना याद आती हैं..'मेघदूतम्! इससे प्रेरित होकर मैंने मेरी प्रेम भावनाएं संस्कृत में व्यक्त करने का यह प्रयास किया हैं!)
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एषः संस्कृत भाषा देशः एषः धर्मनिरपेक्ष देशः मनुष्यता, समानता स्नेह समन्त! - मनोज 'मानस रूमानी' (डीडी संस्कृत वार्ता का वर्धापन वृत्त देखकर मैंने मेरे विचार ऐसे संस्कृत में व्यक्त किएं।)
हाँ, बाकी भी हैं दुनिया में इश्क़ के सिवा तो 'मानस' दीदार-ए-हुस्न पर करे क्या - मनोज 'मानस रूमानी'
मरज़-ए-इश्क़ से फ़राग़त कहाँ 'मानस' सलामत तो रहते हैं प्यार में बेपरवाह! - मनोज 'मानस रूमानी'
फूल बिछाएं होते हैं हुस्न को 'मानस' चलना इश्क़ को हैं काटों की राह पर! - मनोज 'मानस रूमानी'
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दिल की जन्नत बसाने.! कही दूर जाने को मन कर रहा हैं सब परेशानियों से अपना जहाँ ढूंढ़ते प्यार की ख़ोज में कही दूर जाने को मन कर रहा हैं सृष्टि की आग़ोश में दिल को बहलाने हसीन नज़ारों में कही दूर जाने को मन कर रहा हैं अपनी दुनिया आज़माने ज़िंदगी फ़िरसे बसाने अपनी मर्ज़ीसे जीने  कही दूर जाने को मन कर रहा हैं आख़री मौका मिले सब भूल सुधारेंगे ज़िंदगी सवर लेंगे  कही दूर जाने को मन कर रहा हैं कोई साथ आये गर हमसफ़र बने तो अच्छा हैं.! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आज न मन डोलेगा, न कोई नाचेगा  सरोज जी की याद में दिल धड़केगा!   - मनोज 'मानस रूमानी' (अपने भारतीय सिनेमा की जानीमानी कोरिओग्राफर सरोज ख़ान जी को श्रद्धांजलि!)
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शेर उनके तलवे चाटते थे.. जो सीने पर फूल लगाते थे! अब 'शेर' से दूर भागते हैं.. 'सीना तान' के चलने वाले! - मनोज 'मानस रूमानी'
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क्षणिक दिसते लोभस हसते नीरागस भासते सौंदर्य तिचे गूढ या परिकथेतील ललनेचे 'मानस' तुला का ठाऊक नसे - मनोज 'मानस रुमानी'
ज़िंदगी कहाँ ठहरी किसके लिए 'मानस' हैं प्यार के रास्तें.. हैं गर जज़्बा-ए-इश्क़   - मनोज 'मानस रूमानी'
दिल-ए-नाशाद पर रंज क्या करना 'मानस' हैं उनकी भी अपनी ज़िंदगी, अपने अरमान - मनोज 'मानस रूमानी'
अब क्यूँ उसकी फ़ुर्क़त में तन्हा 'मानस' तुम ही थे नहीं जान सके उसके जज़्बात - मनोज 'मानस रूमानी'
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WITH BROKEN HEART.! You were really Queen of hearts.. due to gorgeous beauty you had! But why did you break our hearts by taking casually life you had? Perhaps you were not aware of.. how beauty hungry people played! However, we still remember you as.. "Beauty with fragile romantic heart"! - Manoj 'manas roomani' [I just expressed my feelings (with respect) in this verse..towards pretty Princess (late) Diana Spencer..on her birth anniversary!]
वैसे भी 'अवतार' में रहना लाज़मी हैं बशर्ते कोई क्रिएटिव्ह काम करते हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'