न वो सावन..न तुम!


सावन कभी सुहाना हुआ करता था
ख़ुमार लिए बूँदे बरसती थी
धूँप भी यूँ भीगी होती थी

सावन कभी सुहाना हुआ करता था
हरियाली हरतरफ़ नज़र आती
भीगी मिट्टी की ख़ुशबू आती


सावन कभी सुहाना हुआ करता था
झूले पड़ते, कुँवारियाँ उछलती
मोर नाचतें, कहीं प्रीत बहरती


अब वो सावन मायूस नज़र आता
न वो बरसात रूमानी दिखती
न कोयल कुह मन को भाती


अब वो सावन मायूस नज़र आता
न वो माहौल रहा न हालात भी
न हमदम और वो चाहनेवाली


अब वो सावन मायूस नज़र आता
'मानस' तुम वो रहे नहीं
सामने वो भी तो नहीं!


- मनोज 'मानस रूमानी

Comments

Popular posts from this blog