मिलते हैं जब दो किस्म के..
नग़्मानिगार और मौसिक़ार
गिले-शिक़वे नहीं, होती है..
शायरी-जाम की महफ़िल!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(मशहूर गीतकार आनंद बख्शी जी और प्रतिभाशाली संगीतकार ख़य्याम जी की एकसाथ की यह तस्वीर देखकर लिखा!)

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