ग़ुलाबी हुई थी फ़िज़ा आज यहाँ शाम
शायद हो वह उसके प्यार का ख़ुमार!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(हमारे यहाँ कोरेगांव पार्क में आज वाक़ई शाम को वातावरण ग़ुलाबी हुआ था, तो मैंने यह लिखा!)  

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