दिल की जन्नत बसाने.!


कही दूर जाने को मन कर रहा हैं
सब परेशानियों से
अपना जहाँ ढूंढ़ते
प्यार की ख़ोज में


कही दूर जाने को मन कर रहा हैं
सृष्टि की आग़ोश में
दिल को बहलाने
हसीन नज़ारों में

कही दूर जाने को मन कर रहा हैं
अपनी दुनिया आज़माने
ज़िंदगी फ़िरसे बसाने
अपनी मर्ज़ीसे जीने 

कही दूर जाने को मन कर रहा हैं
आख़री मौका मिले
सब भूल सुधारेंगे
ज़िंदगी सवर लेंगे 

कही दूर जाने को मन कर रहा हैं
कोई साथ आये
गर हमसफ़र बने
तो अच्छा हैं.!

- मनोज 'मानस रूमानी'

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