थी उन्हें गाने की ख़्वाहिश भी
लेकिन बने सिर्फ़ गीतकार ही
लम्हा ऐसा भी आया कभी
इनकी कलम फ़नकार ने ली
लेकिन ये न दिखा सके गायकी
क्योंकि सामने थी आवाज़-ए-रफ़ी


- मनोज 'मानस रूमानी'

(मशहूर गीतकार आनंद बख्शी जी की तमन्ना थी वे गायक भी बने! यहाँ उन्हें हमारे मीठी आवाज़ के बादशाह मोहम्मद रफ़ी जी के साथ ऐसा देखा, तो मैंने ऊपर के मेरे अशआऱ लिखे!)

- मनोज कुलकर्णी

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