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Showing posts from November, 2018
मुस्तक़बिल उनसे हैं हमारा.. मुंतज़िर हूँ जिनके दीदार का! - मनोज 'मानस रूमानी'
तसव्वुर-ए-हुस्नपरी उनके आगे नहीं किसी और की चाहत..मुमकिन नहीं! - मनोज 'मानस रूमानी'
खुली राह मिला दे मुल्कों को जो दरअसल कभी एक ही थे! - मनोज 'मानस रूमानी'
मुश्ताक़ है उनके दीदार-ए-हुस्न के लिए.. रूमानी दिल को जिससे सुकून मिलता हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
हुस्नपरी खिलखिलाती रहे 💃 दुनियाँ रूमानी आबाद रहें 💗 - मनोज 'मानस रूमानी'
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आशिक़ाना मौसम का लुत्फ़ उठाने  साथ हुस्न-ए-जहाँ-ताब चाहीये! - मनोज 'मानस रूमानी'
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मेरी शायरी वैसे ज़माने से वाबस्ता होती हैं..   सिर्फ़ इसमें रूमानी बातें हुस्नपरी की होती हैं!   - मनोज 'मानस रूमानी'
मुल्क का रहनुमा बनकर  जहां आम दुनिया घूमें..  यह सालों से संभाली..  ज़म्हूरियत किसकी देन हैं?  - मनोज 'मानस रूमानी'
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इंसानियत, प्यार और तरक्की का आसमान दिखाया चाचा नेहरूजी ने.. बच्चों चलों उनकी राह पर चलें और हमारे भारत को वाकई महान बनाये! - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू जी को जनमदिन पर सलाम!)
गुलाबी ठंड की आहट क्या हुई 🌹 रूमानी अरमानों ने ली अंगड़ाई! 💗 - मनोज 'मानस रूमानी'
जिनके हम हमसफ़र हो न सके.. उनसे प्यार की उम्मीद क्यों करे! - मनोज 'मानस रूमानी'
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सबरंगी गुब्बारें यें हमारी संस्कृति के.. सबको लिएं साथ उड़ें हसीन दुनिया में! - मनोज 'मानस रूमानी'
मौंसम आशिक़ाना हो दिल शायराना हो.✍️ शबाब लुभावना हो और हम फ़ना हो💞 - मनोज 'मानस रूमानी'
हुस्न आँखों की पसंद होती हैं चाहत दिल की होती हैं शरीफ़ ख़ामख़ाह बदगुमान होता है - मनोज 'मानस रूमानी'
गए अक्टूबर का तपता सूरज बनाया फेसबुक ने वहाँ.. हमें तो जुस्तजू थी पूनम के हसीं शीतल चाँद की वहाँ! - मनोज 'मानस रूमानी'
बाघों का हैं बस मोल यहाँ.. इंसानों की जान कुछ भी नहीं! धर्म, भावनाओं से हैं खेल यहाँ.. इंसानियत-प्यार कहीं भी नहीं! - मनोज 'मानस रूमानी'
इंसानियत-प्यार के हो मंदिर-मस्जिद मनातें रहें साथ में जहाँ दिवाली-ईद! - मनोज 'मानस रूमानी'
अभिजात सौंदर्य की 'परि'सीमा है वह 'मलिका-ए-हुस्न' की हक़दार है वह! 😊 - मनोज 'मानस रूमानी'
जीने की आरज़ू जगाता नूऱ.. 💗 हैं आपका हसीन नूरानी रूख़! - मनोज 'मानस रूमानी'