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Showing posts from April, 2019
सभी के शुभ कार्य की जहाँ गूँजती बिस्मिल्लाह शहनाई केसरियाँ बना दी इन्होनें.. जो थी सबरंगी वाराणसी! - मनोज 'मानस रूमानी'
बारिश की बूंदे गिरी  कुछ ठंडी हवा चली   ज़मीन से ख़ुशबू आयी  दिल रूमानी कर गयी! - मनोज 'मानस रूमानी'
हसीन ज़िंदगी, तू कभी बेरहम न बन.. तुझसे प्यार करनेवालों से मुँह न मोड़! - मनोज 'मानस रूमानी'
माना हसीन हैं तू ऐ ज़िंदगी, लेकिन बेवजह साथ छोड़ना तुम्हारी फ़ितरत हैं ज़िंदगी! - मनोज 'मानस रूमानी'
सर्व धर्म-जात समभाव.. समाजवाद-मानवता का! अपने मत से आबाद रखें आज़ाद जनतंत्र अपना! - मनोज 'मानस रूमानी'
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जन्नत ने जमीन पर जहाँ.. नज़र किया हैं हसीन नज़ारा सलामत रहें..कश्मीर अपना.. मोहब्बत के ग़ुल खिलानेवाला! - मनोज 'मानस रूमानी'
सुबह से शब-ब-ख़ैर आपसे जहान-ए-कलम भी हैं.. मुतासिर आपके हुस्न से अब तो हमारा वजूद आपसे! - मनोज 'मानस रूमानी'
'अप्रैल फूल' का ड्रामा यहाँ पाँच साल चला! चाय-पकोड़े बेचनें का इनका वक्त आया! - मनोज 'मानस रूमानी'
गरीबों की तो कुछ भलाई कर न सकें बदलते ऊँचे पेहरावों में ये अमीर बनें! - मनोज 'मानस रूमानी'