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Showing posts from October, 2021
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दिखें चाँद और महताब! आसमाँ-सितारें जब शबाब में होतें ख़्वाबगाह में हसीन ख्याल हैं आतें शायद चाँद पूरा शबाब में होगा उसपे भी इश्क़ का ख़ुमार होगा अबतक न दिखा चाँद, न महताब गुज़र न जाए वह बगैर दीदार शब् हमें तो जुस्तजू हैं हमारे चाँद की उस जमाल-ए-हुस्न महजबीं की - मनोज 'मानस रूमानी'
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एहसास हो रहा है.. आप लौट आयी हैं! प्रियंका जी में आप.. हमें नज़र आ रही हैं! - मनोज 'मानस रूमानी' (आज अपने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के स्मृतिदिन पर उन्हें सलाम करते हुए इस आशावादी चित्र पर मैंने ग़ौर किया है!)
आसमाँ-सितारें जब ऐसे शबाब में होतें 🌙 ख़्वाबगाह में उनके हसीन ख्याल आतें 💗 - मनोज 'मानस रूमानी'
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ग़म-ए-दिल! दुख तो सब जतातें है.. किसी के गुज़रने के बाद कौन जाने होता इस में.. कितना सच, कितना झूठ पर मायूसी होंगी कहीं पे.. यक़ीनन हम जाने के बाद आंसूं जो टपकेंगे वहीँ से.. पहुंचाएंगे दबा हुआ प्यार! - मनोज 'मानस रूमानी' (काल्पनिक रचना एवं चित्र!)
बुरे दिन!! प्यार की निशानी ताज को कोसना.. प्रेमी सैलानीयों से छेड़खानी करना.. गरीब किसान की फसल रौंद देना.. यह आपका अच्छे दिन का सपना? - मनोज 'मानस रूमानी'
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कली के साथ खिल रहा था.. पतझड़ में जो गिरा वह फूल! तो डाली के साथ कही लगके.. कली फ़िज़ा में ख़ूब गयी खिल! - मनोज 'मानस रूमानी'
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आराइश इस ज़रुल पर हैं कुदरत का शाहकार इश्क़ बयां करने का.. ख़ूब-रु का हो अंदाज़! - मनोज 'मानस रूमानी'
कभी ये मुरझाएं दिल हैं लगतें 🍁 पतझड़ में जो ये पत्तें हैं गिरतें 🍂 - मनोज 'मानस रूमानी'
आसमाँ के आग़ोश में होगा आज चाँद रंगीन समाँ में हो यहाँ "दीदार-ए-चाँद" - मनोज 'मानस रूमानी'
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रूमानी शाम की ख़ुमारी बढ़ातें.. मेरे पसंदीदा रंग में खिलें ज़रुल अब इस बाग़-ए-हुस्न में बस.. दिखाई दे हमारी हसीन ज़रुल! - मनोज 'मानस रूमानी'
अरसिक केसरिया जाने ही नहीं प्यार! तो कैसे समझेंगे ताजमहल का मोल? - मनोज 'मानस रूमानी'
इंसानियत, प्यार से जीता जाए दशहरे की यही हैं शुभकामनाएं! - मनोज 'मानस रूमानी'
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उम्र के ८० तक ये आए है.. ८० के दशक में लीजेंड बने! एंग्री यंग मैन के ही जोश में अब बिझी ओल्ड मैन हैं रहें! - मनोज 'मानस रूमानी' [हमारे भारतीय सिनेमा-टीवी जगत के लिविंग लीजेंड और हम सबके चहेते..अमिताभ बच्चन जी को सालगिरह की मुबारक़बाद!]
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आईने में दिखे छवि से ख़ूबसूरत रहें.. उम्र की रेखाएं कभी न दिखें आप पर अदाकारी के और भी जलवें दिखाने.. उमराव जान यूँ ही रहे आप परदे पर! - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे लोकप्रिय भारतीय सिनेमा की पसंदीदा ख़ूबसूरत अदाकारा रेखाजी को उनकी ६७ वी सालगिरह की मुबारक़बाद!)
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जिस साल आप यह जहाँ छोड़ गए उसी साल हम इस जहाँ में आएं थे संजीदगी, बेरुखी हम में छोड़ गए.. इसलिए हम दुनिया से ख़फ़ा रहते! - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे अज़ीज़ श्रेष्ठ अभिनेता एवं निर्देशक गुरुदत्त जी को उनके ५७ वे स्मृतिदिन पर मेरी यह शब्द-सुमनांजलि!)
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मुंतज़िर! तअस्सुफ़ हैं नासमझी में छूटी.. हमनफ़स जो हो जाती हमसफ़र रहगुज़र सही..मंज़िल की तरफ! फिर दिखें वो नूऱ..राह मंज़िल की फ़स्ल-ए-गुल के इंतज़ार में अब.. दश्त-ए-तन्हाई में पड़े हैं 'मानस'! - मनोज 'मानस रूमानी'
तवज्जोह बॉलीवुड स्टार के बेटे पर ये देतें हैं हुकुमतदार के बेटे का ज़ुल्म क्यूँ नहीं देखतें? - मनोज 'मानस रूमानी'
'जय किसान' नारा जिन के लिए लगातें केसरिया राज में उन्हें कुचला जा रहा हैं! - मनोज 'मानस रूमानी'
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घिर आए बादल, बिजलियां चमकी झूम के यूँ गिरती रही फिर बारिश.. अतीत चमका, दिखी भीगी पुकारती यादों से पलकें भीगा गई बारिश..! - मनोज 'मानस रूमानी'
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वस्ल-ए-इश्क़ ही नहीं होती.. मंज़िल रूहानी मोहब्बत की! प्यार तो उनका अमर हुआ.. इश्क़ में जो तड़पते रह गए! मोहब्बत तो रहती दिलों में.. मिलना हो या न मिल सकें! - मनोज 'मानस रूमानी'
हवस के वहशी कब आएंगे बाज? इंसान नहीं ये तो हो गएँ हैं हैवान - मनोज 'मानस रूमानी'
आम जनता का लोकल दर्द समझो.. बुलेटट्रैन का अमीर सपना देखनेवालों! - मनोज 'मानस रूमानी'