जिस साल आप यह जहाँ छोड़ गए
उसी साल हम इस जहाँ में आएं थे

संजीदगी, बेरुखी हम में छोड़ गए..
इसलिए हम दुनिया से ख़फ़ा रहते!

- मनोज 'मानस रूमानी'


(हमारे अज़ीज़ श्रेष्ठ अभिनेता एवं निर्देशक गुरुदत्त जी को उनके ५७ वे स्मृतिदिन पर मेरी यह शब्द-सुमनांजलि!)

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