वस्ल-ए-इश्क़ ही नहीं होती..
मंज़िल रूहानी मोहब्बत की!


प्यार तो उनका अमर हुआ..
इश्क़ में जो तड़पते रह गए!

मोहब्बत तो रहती दिलों में..
मिलना हो या न मिल सकें!


- मनोज 'मानस रूमानी'

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