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Showing posts from November, 2020
अन्नदाता किसान जिन्हें कहतें थे हम कुचल रहें हैं उन्हें ये बेरहम हुक्मरान! - मनोज 'मानस रूमानी'
दिलकश नशेमन की तमन्ना है 'मानस' प्यार करनेवाली हो जहां हसीं हमनफ़स - मनोज 'मानस रूमानी'
नमस्कार/आदाब! मुझे यह नमूद करते हुए बड़ी ख़ुशी होती है की, मेरे इस 'शायराना' ब्लॉग पर अब तक मेरी ५०० से ऊपर शेर-ओ-शायरी प्रसिद्ध हुई हैं! इसमें मेरे अशआर, हाइकु, रुबाई से लेकर कुछ ग़ज़ल, नज़्म भी हैं। ज़्यादातर हिंदी-उर्दू और थोड़ी मराठी, इंग्लिश पोएट्री भी शामिल हैं। रोमैंटिक और कंटेम्पररी दोनों जॉनर की! कृपया यह पढ़तें समय स्क्रोल करके पहले की शायरी देखने के लिए 'मोअर पोस्ट्स' पर क्लिक करे और हर एक पूरी तरह पढ़ने के लिए 'रीड मोअर' पर क्लिक करे। शुभकामनाएं!! - मनोज कुलकर्णी ('मानस रूमानी')
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आप प्रियदर्शिनी थी आप रणरागिनी थी हमारे हिन्दोस्ताँ की आन-बान-शान थी! - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा जी गाँधी को उनके १०३ वे जनमदिन पर सुमनांजलि!)  
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इंसानियत, प्यार और तरक्की का दिया दिखाया चाचा नेहरूजी ने.. बच्चों, चलों उनकी राह पर चलें हमारे भारत को महान बनाये!" - मनोज 'मानस रूमानी' (हमारे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू साहब को १३१वे जनमदिन पर सलाम! यह 'बाल दिन' के रूप में भी मनाया जाता हैं! तो बच्चों को प्यार भरी शुभकामनाएं!!)
दिए में ज्ञान की लौ जले हर तरफ 🪔 दिल में प्यार की लौ जले हर तरफ - मनोज 'मानस रूमानी'
ज़ेवरों, पहनावों की नुमाइश करनेवालें.. ख्याल रखें ग़ुरबत में कितनी मायूसी हैं - मनोज 'मानस रूमानी'
हसीन आग़ोश में लुत्फ़-ए-इश्क़ का लगता गुलाबी ठंड का मौसम आया - मनोज 'मानस रूमानी'
ज़िंदगी भर प्यार को तरसते रहते वे ज़िंदगी में आए प्यार को न समझते - मनोज 'मानस रूमानी'
मौत से जूझती है कहीं ज़िन्दगी.. काश की जीत जाये यह ज़िन्दगी - मनोज 'मानस रूमानी'
'रिपब्लिकन' (पा) से हैं लोग ख़फ़ा वहां 'रिपब्लिक' (टीवी) से हैं लोग ख़फ़ा यहाँ - मनोज 'मानस रूमानी'
IRONY! People are upset with 'Republican' (p) there People are upset with 'Republic' (tv) here! - Manoj 'manas roomani'
तस्कीन हो जाता है ये दिल-ए-नाशाद ख़याल में जब साथ देते हो हमनफ़स - मनोज 'मानस रूमानी'
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शबाब आपका यूँ बरक़रार रहे अदाकारी के जलवें दिखाती रहे जवाँ आशिक़ भी होश खो बैठे महफ़िल आपकी यूँ शादाब रहे - मनोज 'मानस रूमानी' (ख़ूबसूरत अदाकारा तब्बू की ५० वी सालगिरह पर, मीरा नायर के 'अ सुटेबल बॉय' में से ईशान खट्टर के साथ उसके इस सीनपर मैंने यह लिखा।)
कैसे लिखें कोई आप पर ग़ज़ल आप ही जो हो ख़ूबसूरत ग़ज़ल - मनोज 'मानस रूमानी'
नफ़रत की आंधियां हो जाए दूर खिल उठे फिर मोहब्बत के फूल - मनोज 'मानस रूमानी'
रूमानी हुआ करतें थे मंज़र यें   अब क्यों इतने दहकने लगें हैं - मनोज 'मानस रूमानी'
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मोहब्बत और इंसानियत से दिल भरा रहे परदे पर रूमानियत के जलवें दिखाते रहे - मनोज 'मानस रूमानी' (शाहरुख़ ख़ान को सालगिरह पर!)
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इश्क़ शायद ही इतना परवान चढ़ा होगा   इसलिए चाँद भी मजबूरन मुख़ातिब हुआ - मनोज 'मानस रूमानी' [भारतीय सिनेमा की ख़ूबसूरत अदाकारा ऐश्वर्या राय-बच्चन की सालगिरह पर मुझे बॉलीवुड के इन दो सुपरस्टार्स (सलमान-शाहरुख़) खानों के साथ उसके ये रूमानी लम्हें याद आएं..और मैंने यह शेर लिखा!]
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मनपसंद चाय! सुबह-शाम जिसकी हैं आस वह है हमारी प्यारी सी चाय उसके लुत्फ़ का क्या कहना जब बनाते हम अपनी चाय क्या दिन थे वे दोस्तों के साथ चाय पर घंटों होती थी गपछप सिनेमा, कला, संगीत थे विषय सिगरेट का कश, चाय का सिप कभी चाय शेयर भी होती थी अपनी किसी के होठों से भी सिर्फ रह गई बात उसमें एक पुछते जो जीवन साथी होने की  अब लेखन सृजन रिझाने के लिए साथ हैं तो सिर्फ़ अपनी चाय की आयी है अब टी यलो, ग्रीन, हर्बल हमारी तो मनपसंद अपनी पुरानी - मनोज 'मानस रूमानी' (हाल ही में आई ख़बर 'नियमित चाय पीने से मस्तिष्क की संरचना बेहतर होकर अध्ययन कार्यात्मक, संरचनात्मक होता है!' पर मैंने यह लिखा!)