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Showing posts from February, 2024
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इश्क़ और मोहब्बत हैं तो एक; पर कहते इनके अंदाज़ अलग! फ़ना होने तक का जज़्बां हैं इश्क़, साथ प्यार से बिताना है मोहब्बत! - मनोज 'मानस रूमानी' ('वैलेंटाइन डे' मुबारक़!)
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इज़हार-ए-मोहब्बत वक़्त पर कर लें इक़रार की गुंजाइश गर दो-तरफ़ा हैं! अव्यक्त, उनके पयाम के इंतज़ार में.. इश्क़ महज़ अफ़साना ही बन जाता हैं! - मनोज 'मानस रूमानी' ('प्रपोज डे' पर!)
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खिलतें रहें यूँ गुलाब हुस्न के.. महकें फ़िज़ा इश्क़ की ख़ुशबू से - मनोज 'मानस रूमानी' ('रोज डे' मुबारक़!)
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  मजमुआ-ए-शायरी कुछ यूँ होगा हमारा.. हुस्न-ओ-इश्क़ की बातें और फ़लसफ़ा; ग़म-ए-फ़ुर्क़त और हक़ीक़त से वाबस्ता होगा बयां इससे ज़िंदगी का अफ़साना! - मनोज 'मानस रूमानी'
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हसीन पहले इश्क़ के ख़ुमार में नज़रअंदाज़ हो गई हमनफ़स! ना उसके हो पाए और ना इसके फिर भी क्यूँ ये इंतज़ार-ए-वस्ल! - मनोज 'मानस रूमानी'
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सोचता हूँ ज़िदगी कैसी रही तसव्वुर की तसव्वुर में रही! अपना जहाँ, हसीन हमसफ़र ख़्वाहिशें मन की मन में रही! - मनोज 'मानस रूमानी'