Posts

Showing posts from January, 2020
ये ना फ़ैज़ की नज़्म समझतें हैं.. वहां ज़ुल्मी हुक़ूमत से कही गयी!  इंसानों को सिर्फ़ तोड़ने में हैं लगे नफ़रत के ये केसरिया खिलाड़ी! - मनोज 'मानस रूमानी'
Image
ऐसे आ बसा है हसीन चेहरा.. आखों से इस प्यारभरे दिल में!  सफ़ेद फूलों के आग़ोश से जैसे.. उतर आया यह ग़ुलाब झील में!   - मनोज 'मानस रूमानी'