चमन यूँ ही नहीं ऐसा खिल उठता..

दीदावर का योगदान उसमें है रहता!

- मनोज 'मानस रूमानी'


ऐसे ही, हमारे प्रोफेसर किरण ठाकूर जी..उनका जाना बेहद दुखद है!

हमारे 'डिपार्टमेंट ऑफ़ कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज़म' के एल्युमिनाई मीट पर उनका मिलना और आस्था से बातें करना याद आ रहा है!

उन्हें श्रद्धांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

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