धार्मिक न होते हुए भी मैंने यह गीत लिखा हैं! आदर सभी धर्मों के प्रति हैं।

इस धरती के प्रभु राम!



आते, मिलते, जाते यहाँ लेते जिनका नाम
आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम!


युवराज ऐसे दशरथ-कौशल्या के
वनवास गए उनका वचन निभाने
जान कर बसर किए जीवन आम
आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम!


पतिव्रता सीता संग आई आपके
बंधु लक्ष्मण रहे साथ रखवाले
पादुका संभाले भरत दिए सम्मान
आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम!

उच-नीच कभी ना माने
शबरी के दिए बेर खाये
अहिल्या का भी किए उद्धार
आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम!

पवनपुत्र हनुमान खूब सेवा निभाये
सिया राम ही रखे जिसने सीने में
छोटी गिलहरी का भी माना योगदान
आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम!


संहार किया असुरों का धनुष से
लंकापति रावण का आख़िर वध किये
अच्छाई ने बुराई पर ऐसी की मात
आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम!


विजयी होकर जब अयोध्या लौटे
प्रजा हित सोच पर ही ध्यान दिये
सिया राम आपकी रही महिमा महान
आप ही इस धरती के प्रभु राम, राम, राम!

- मनोज 'मानस रूमानी'
(मनोज कुलकर्णी)

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