चंद्रयान कभी पता तो करे,
वह जहाँ-ए-हुस्न-ओ-इश्क़
क्या वाक़ई हैं चाँद पर?
प्यार करने वाले युगों से..
जिससे होतें रहें मुख़ातिब
शायर ख़ूब लिखें जिस पर!

- मनोज 'मानस रूमानी'

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