पर्वतों का ख़ूबसूरत नज़ारा हैं
हुस्न भी अपने पुरे शबाब में हैं
तो हसीन ग़ज़ल लिख़ जानी है
दिल आशना को इश्क़ होना है

- मनोज 'मानस रूमानी'


(आज के 'अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिन' पर!)

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