कुदरत में भी काफ़ी शायरी भरी हुई है
जरा इंटरनेट से उठ कर वह आज़माएँ
लुत्फ़ उठाएं जब फ़िज़ा रूमानी होती है
उस वक़्त बस साथ हसीं होना चाहिएं!

- मनोज 'मानस रूमानी'

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