हुस्न के इर्दगिर्द जहाँ पर..
आशिक़ों की भीड़ जमती!
हम वहाँ आज़माते रहते..
हुस्न, इश्क़ में पाकीज़गी!


- मनोज 'मानस रूमानी'

(Picture just used for poem!)

Comments

Popular posts from this blog