जाड़ों की नर्म धुप हो या...
ग़र्मी में पत्तों की सरसराहट!
सरलता से मुख़ातिब होते है..
ज़िदगी पर आपके अल्फ़ाज़!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(कवी-गीतकार गुलज़ार साहब को सालगिरह की मुबारक़बाद देते समय याद आ रहीं हैं उनसे मुलाकातें और मेरे 'चित्रसृष्टी' संगीत विशेषांक की उन्होंने की सराहना!)

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