सांझ का रूमानी नज़ारा हैं यह
पेड़-पर्बतों पर हैं शाम का नीला
सूरज के प्यार के गेरुआ रंग से
झील का बदन हैं कुछ निखरा!

- मनोज 'मानस रूमानी'

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