ख्वाब और ज़िंदगी!


ज़िंदगी का ख़ूबसूरत सपना..
देखा था एक हसीन के साथ!


ज़िंदगी की ख़ूबसूरत तस्वीर..
बनानी थी उस हसीन के साथ!


ज़िंदगी सुकून से रूमानी बसर..
करनी थी उस हसीन के साथ!


ज़िंदगी नादाँ से कही गई ठहर..
अजीब दास्ताँ सी बग़ैर वो साथ!


- मनोज 'मानस रूमानी'

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