Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps May 23, 2024 ख़ुद-कफ़ील होकर रखना होगा वजूद.. ग़म, मुसीबतों से हो मुसल्लत आलम! - मनोज 'मानस रूमानी' Read more
Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps May 23, 2024 जब लिखते हम हुस्न, इश्क़ की शायरी.. तश्बीह, लफ़्ज़ों की कमी नहीं हैं होती! पर लिखने बैठते है जब हम माँ पर.. कुछ लफ़्ज़ नहीं मिलतें उनके बराबर! - मनोज 'मानस रूमानी' ('मातॄदिन' पर !) Read more
Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps May 23, 2024 जाना..रिश्ते, दोस्ती, प्यार.. जज़्बातों को काबू रखें इनमें! ज्यादा लगाव परेशानी के सिवा कुछ भी नहीं देता इनमें! - मनोज 'मानस रूमानी' Read more