मुख़्तलिफ़ कितने है रंग हमारे मिले है फिर भी तीन ही रंगों में! जुदा करने के कैसे भी हो इरादें बहरहाल, हम तो साथ ही रहेंगे! भाईचारा, प्यार को रहें फैलातें पैग़ाम-ए-मोहब्बत पहुँचाते रहेंगे! - मनोज 'मानस रूमानी'
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