ना हो जंग!

परेशान रहती हैं अवाम यहाँ-वहाँ
ना बिछड़े किसी से कोई यहाँ-वहाँ


ना देखा जाता दुख किसीका यहाँ-वहाँ
ना जाएं किसी की भी जान यहाँ-वहाँ

ना करे कहीं कोई जंग यहाँ-वहाँ
बातचीत से हल निकले यहाँ-वहाँ

इंसानियत की हिफ़ाज़त हो यहाँ-वहाँ
भाईचारा-प्यार स्थापित हो यहाँ-वहाँ

- मनोज 'मानस रूमानी'

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