बरसात में झाँक लिया खिड़की से
दिल लुभा गया भीगा सुहाना समां
आँखें ढूंढ़ती रही रूमानी अतीत में
भीगे दुपट्टे से उस हसीं का झाँकना

- मनोज 'मानस रूमानी'

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