यह नया दौर हैं और एक 'नया दौर' तब भी था
अब न वो दौर-ए-ज़िंदगी, न तहज़ीब, न रुतबा

- मनोज 'मानस रूमानी'


(अपने भारतीय सिनेमा के दिग्गज फ़िल्मकार बी. आर. चोपड़ा जी का आज १४ वा स्मृतिदिन और अपने अदाकारी के शहंशाह यूसुफ ख़ान याने दिलीपकुमार जी पिछले साल गुजर गए। उनकी पुरानी क्लासिक फ़िल्म 'नया दौर' (१९५७) की पचासवीं वर्षगांठ पर उसकी रंगीन फ़िल्म के प्रदर्शन समय उनकी ली गई यह यादगार तस्वीर!)
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