जा रहा हैं पुराना होकर अब ये साल भी.. था नया लेकर आया उम्मीदों भरा ये भी! ज़िंदगी का सफर चल तो रहा हैं वैसे भी.. मंज़िल की तलाश में हैं मुसाफ़िर अब भी! - मनोज 'मानस रूमानी'
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Showing posts from December, 2024
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चमन यूँ ही नहीं ऐसा खिल उठता.. दीदावर का योगदान उसमें है रहता! - मनोज 'मानस रूमानी' ऐसे ही, हमारे प्रोफेसर किरण ठाकूर जी..उनका जाना बेहद दुखद है! हमारे 'डिपार्टमेंट ऑफ़ कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज़म' के एल्युमिनाई मीट पर उनका मिलना और आस्था से बातें करना याद आ रहा है! उन्हें श्रद्धांजलि!! - मनोज कुलकर्णी
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रफ़ी-ए-हिन्दोस्ताँ! मीठी आवाज़ के शहेनशाह थे वो जहाँ-ए-तरन्नुम से पधारे थे वो! फ़न के सही दीदावर थे वो बहार-ए-मौसीक़ी बने थे वो! वतन को नायाब तोहफ़ा थे वो आवाज़ का कोहिनूर ही थे वो! हमारे जज़्बात से वाबस्ता थे वो आसमाँ से आए फ़रिश्ता थे वो! - मनोज 'मानस रूमानी' (सुरों के शहेनशाह और मीठी आवाज़ के मालिक हमारे अज़ीज़ मोहम्मद रफ़ी साहब का आज १०० वा जनमदिन और जन्मशताब्दी!) उनपर मैंने बहुत लिखा हैं! मेरे 'चित्रसृष्टी' संगीत विशेषांक में उनपर मेरा खास लेख था! उन्हें विनम्र सुमनांजलि!) - मनोज कुलकर्णी