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Showing posts from December, 2025
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रहनुमा! तअस्सुफ़ हैं न जाना उसका सच्चा प्यार हुस्न-ए-तसव्वुर में जो हुआ नज़रअंदाज़ दश्त-ए-तन्हाई में यूँ न पड़े होते 'मानस' राह-ए-ज़िंदगी रहनुमा होती वो हमनफ़स! - मानस रूमानी
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ज़िंदगी भर प्यार को तरसते रहते वे ज़िंदगी में आए प्यार को न समझते - मानस रूमानी
शब-ए-फ़ुर्क़त में कहीं.. वस्ल की बेला है दिखी! - मानस रूमानी
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दिन मुश्किल से अब है कटता.. खत्म न हो रात ऐसा है लगता.. ख़्वाब-ओ-ख़याल में सुकूँ मिलता! - मानस रूमानी (विधा: 'त्रिवेणी' काव्य प्रकार!)