दिन मुश्किल से अब है कटता..
खत्म न हो रात ऐसा है लगता..
ख़्वाब-ओ-ख़याल में सुकूँ मिलता!

- मानस रूमानी

(विधा: 'त्रिवेणी' काव्य प्रकार!)

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