सभी के पाक़ दिन, महफ़िल में गूँजतें
मज़हब से परे हैं सुर उनके शहनाई के

- मनोज 'मानस रूमानी'


(शहनाई नवाज़ 'भारतरत्न' बिस्मिल्लाह ख़ान जी को १०५ वे जनमदिन पर सलाम!)

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