मुकद्दस दिन की यह सौग़ात है आज
आसमाँ में पूरे चाँद का दीदार हैं आज
कहते हैं होगा इसका गुलाबी रंग आज
आलम-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ झूमेगा आज

- मनोज 'मानस रूमानी'

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