पैग़ाम!
होली मुबाऱक सरहद पार भी दिखायी दी
धर्म-निरपेक्षता की बात वहां भी गूँजी..
शायरी, रफ़ी आवाज़ की चाहत भी सुनी
अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही !
भाईचारा, मोहब्बत की बात भा गयी
इंतज़ार है यह दिलों का मिलन ही..
मिटा दे इस-उस पार की दूरी भी..
अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही !
एक है जड़, ज़ुबान संस्कृति हमारी
दुनियाँ में मिसालें है फिर जुड़ने की..
काश यह ख़्वाब हो जाए हक़ीक़त भी
अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही!
- मनोज 'मानस रूमानी'
होली मुबाऱक सरहद पार भी दिखायी दी
धर्म-निरपेक्षता की बात वहां भी गूँजी..
शायरी, रफ़ी आवाज़ की चाहत भी सुनी
अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही !
भाईचारा, मोहब्बत की बात भा गयी
इंतज़ार है यह दिलों का मिलन ही..
मिटा दे इस-उस पार की दूरी भी..
अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही !
एक है जड़, ज़ुबान संस्कृति हमारी
दुनियाँ में मिसालें है फिर जुड़ने की..
काश यह ख़्वाब हो जाए हक़ीक़त भी
अब बस प्यार ही फ़ैले दोनों तऱफ ही!
- मनोज 'मानस रूमानी'
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