यादों के झरोखे से.!

रूमानियत भरा था लिखना..
मिज़ाज भी हमारा शायराना!
शुक्रग़ुज़ार हूँ हुस्नवालों का..
कि शायर रूमानी बना दिया!


- मनोज 'मानस रूमानी'

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