बेदाद के अफ़सानें जो दबें होतें थें
मंटो की कलम से वे बयां होतें थे!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(समाज की वास्तविकता से जुड़े उर्दू के मशहूर कहानीकार सआदत हसन मंटो जी को उनके स्मृतिदिन पर सलाम!)

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